आजमगढ़ की ऐतिहासिक चर्च, जहाँ कभी भारतीयों की थी नो एंट्री..जानिए वजह

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आजमगढ़ की ऐतिहासिक चर्च, जहाँ कभी भारतीयों की थी नो एंट्री..जानिए वजह


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आजमगढ़ जिले के सिविल लाइन इलाके में 200 साल से भी अधिक पुरानी चर्च मौजूद है, यह चर्च आजमगढ़ जिले में ईसाई धर्म को मानने वाले लोगों के लिए पवित्र स्थान और मुख्य आस्था का केंद्र है. तकरीबन 2 सदी पुरानी आस्था की यह इमारत न केवल आजमगढ़ के प्राचीन इतिहास के मुख्य केंद्रों में से एक है, बल्कि यह जिले की एक पहचान भी बनी हुई है.

आजमगढ़: जनपद इतिहास और आध्यात्मिकता का एक ऐसा केंद्र है जिसकी जड़ें सदियों पुरानी पौराणिक मान्यताओं से जुड़ी हुई हैं. इस धरती पर सैकड़ों साल पुरानी ऋषियों की तीन पवित्र तपोभूमि मौजूद है, इसके अलावा आजमगढ़ जिले में कई ऐसी ऐतिहासिक धरोह भी मौजूद हैं जो आज भी जिले के प्राचीन इतिहास को दर्शाती हैं. इसी तरह आजमगढ़ जिले के सिविल लाइन इलाके में 200 साल से भी अधिक पुरानी चर्च भी मौजूद है, यह चर्च आजमगढ़ जिले में ईसाई धर्म को मानने वाले लोगों के लिए पवित्र स्थान और मुख्य आस्था का केंद्र है, जो आजमगढ़ जिले के सर्वधर्म इतिहास को प्रदर्शित करता है.

1843 में हुआ था निर्माण

जानकारी के मुताबिक इस चर्च की स्थापना 7 दिसंबर 1843 को बिशप ऑफ कोलकाता के द्वारा की गई थी, तकरीबन 200 साल पुरानी आस्था की यह इमारत न केवल आजमगढ़ के प्राचीन इतिहास के मुख्य केंद्रों में से एक है, बल्कि यह जिले की एक पहचान भी बनी हुई है. लेकिन इस चर्च की कहानी किसी आम धार्मिक स्थल की तरह नहीं है बल्कि इस चर्च की सबसे खास बात इसके निर्माण के पीछे का उद्देश्य है.

इस चर्च की देखरेख कर रहे संजय डेविड बताते है की निर्माण के बाद यह चर्च किसी सामान्य लोगों के लिए मौजूद नहीं हुआ करता था बल्कि इसका उपयोग केवल अंग्रेजी सैन्य रक्षकों और उस समय अंग्रेजों के बड़े-बड़े एडमिनिस्ट्रेटिव अफसरों के द्वारा किया जाता था.

भारतीयों की थी ‘नो एंट्री’

ब्रिटिश हुकूमत के दौरान यह चर्च, सैया कल्याण और सुरक्षा व्यवस्था से जुड़े कार्यों में लगे हुए सैनिकों और अधिकारियों के लिए विशेष रूप से बनाया गया था. संजय डेविड बताते हैं कि तत्कालीन समय में इस चर्च में किसी भी भारतीय नागरिक की एंट्री नहीं थी. इसमें किसी भी धर्म के भारतीय भले ही वह ईसाई ही क्यों ना हो उसे इस चर्च में घुसने नहीं दिया जाता था. ईश्वर की प्रार्थना के लिए बने इस स्थान का उपयोग केवल सैन्य रक्षों और संभवतः ब्रिटिश समुदाय के लोगों तक ही सीमित था. हालांकि, वर्तमान में इस चर्च का दरवाजा सभी धर्म के लोगों के लिए खुला है और हर साल क्रिसमस के मौके पर यहां पर मेले जैसा माहौल होता है और भारी संख्या में लोग यहां आकर क्रिसमस सेलिब्रेट करते हैं.

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Vivek Kumar

विवेक कुमार एक सीनियर जर्नलिस्ट हैं, जिन्हें मीडिया में 10 साल का अनुभव है. वर्तमान में न्यूज 18 हिंदी के साथ जुड़े हैं और हरियाणा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की लोकल खबरों पर नजर रहती है. इसके अलावा इन्हें देश-…और पढ़ें

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