आज भी सीना ताने खड़ी है सदियों पुरानी ये तोप, बहराइच की इस धरोहर से जुड़ी है..

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Bahraich News: बहराइच में सैयद सालार मसूद गाजी की दरगाह पर स्थित जंजीरी गेट की विशाल तोप तुगलक वंश की विरासत है. हर साल जेठ माह में मेला लगता है, लेकिन इस बार प्रशासनिक कारणों से नहीं होगा.
जंजीरी गेट पर मौजूद तोप!
हाइलाइट्स
- फिरोजशाह तुगलक की तोप बहराइच में स्थित है.
- तोप का आकार 6 फीट लंबी, 5 फीट ऊंची है.
- इस बार प्रशासनिक कारणों से मेला नहीं होगा.
बहराइच: उत्तर प्रदेश के बहराइच में स्थित सैयद सालार मसूद गाजी की दरगाह शहर का एक बड़ा धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल है, जहां हर साल जेठ माह में लगने वाले मेले में लाखों लोग जुटते हैं. इसी दरगाह के पास स्थित जंजीरी गेट पर रखी एक विशालकाय तोप लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है. यह कोई आम तोप नहीं, बल्कि इसके पीछे छिपा है तुगलक वंश का इतिहास और सदियों पुरानी विरासत. कहा जाता है कि यह तोप फिरोजशाह तुगलक ने यहां रखवाई थी, जो दिल्ली सल्तनत के तुगलक वंश का शासक था. उस समय यह तोप युद्ध में इस्तेमाल होती थी, लेकिन आज यह केवल शोभा की वस्तु नहीं बल्कि इतिहास की एक जीवंत मिसाल है.
शान का प्रतीक हुआ करती थी तोपें
जंजीरी गेट पर रही इस तोप का आकार और वजन आपको हैरान कर देगा. यह तोप करीब 6 फीट लंबी, 5 फीट ऊंची और लगभग 10 कुंटल से भी ज्यादा भारी है. इस तरह की तोपें प्राचीन काल में युद्धों का अहम हिस्सा हुआ करती थीं. एक गोला सैकड़ों सैनिकों को नुकसान पहुंचाने की ताकत रखता था. ऐसी तोपें सिर्फ हथियार नहीं, बल्कि राजाओं की शक्ति और शान का प्रतीक हुआ करती थीं.
आज भी बनी हुई है खास परंपरा
इस तोप का इस्तेमाल अब आम दिनों में नहीं किया जाता, लेकिन साल में एक-दो बार जब दरगाह पर उर्स या विशेष आयोजन होते हैं, तब इसमें प्रतीकात्मक रूप से गोला या तमाशा रखकर दगाई की रस्म निभाई जाती है. यह परंपरा आज भी ज़िंदा है, जो इतिहास से लोगों को जोड़ती है. दरगाह के जंजीरी गेट पर यह तोपें दोनों ओर रखी गई हैं और इनका रुख उत्तर दिशा की ओर है. यहां आने वाला हर श्रद्धालु और पर्यटक इन तोपों को देखकर हैरान रह जाता है. या तोप सैकड़ों साल पुराना इतिहास अपने भीतर समेटे हुए है. यह तोप न सिर्फ इतिहास की गवाही देती है, बल्कि बहराइच की सांस्कृतिक धरोहर का भी अहम हिस्सा बन चुकी है.
इस बार नहीं लगेगा मेला
हर साल जेठ महीने में दरगाह पर भारी भीड़ जुटती है और मेला लगता है, लेकिन इस बार प्रशासनिक कारणों और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए मेले की अनुमति नहीं दी गई है. यानी इस बार दरगाह में सालाना मेला आयोजित नहीं होगा. ऐसे में अगर आप वहां जाने की योजना बना रहे हैं, तो प्रशासन से पूरी जानकारी जरूर ले लें. इस बार मेला न सही, लेकिन आप जंजीरी गेट पर रखी इस ऐतिहासिक तोप को देखने जरूर आ सकते है जो आज भी पर्यटकों और श्रद्धालुओं को अपनी ओर खींचती है.