इस गांव में बेटियों के जन्म पर ग्रामीण बजाते हैं ढोल-नगाड़ा, IAS भी हैं मुरीद

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Amethi News: यूपी के अमेठी जनपद में एक पीछूती गांव है. इस गांव की ग्राम प्रधान की पहल पर बेटियों के जन्म पर जश्न मनाया जाता है. महिला ग्राम प्रधान की इस पहल को देखकर एक रिटायर्ड आईएएस अधिकारी भी जुड़े हुए हैं. …और पढ़ें
बेटी होने पर सम्मानित करती महिला ग्राम प्रधान एकता द्विवेदी और मौजूद मां
हाइलाइट्स
- अमेठी के पीछूती गांव में बेटियों के जन्म पर जश्न मनाया जाता है.
- महिला ग्राम प्रधान एकता द्विवेदी की पहल से यह संभव हुआ.
- यूपी की राज्यपाल ने ग्राम प्रधान को सम्मानित किया.
अमेठी: भारत में आज भी महिलाओं और बेटियों की उपेक्षा की जाती है. महिला हो या बेटी हमेशा उपेक्षा का शिकार होती नजर आती हैं. ऐसे में यूपी के अमेठी जनपद के एक गांव में इसका गजब का उदाहरण देखने को मिला है. यहां बेटियों की उपेक्षा नहीं बल्कि उनके जन्म होने पर उनका स्वागत सत्कार और उनका सम्मान राजकुमारी की तरह किया जाता है. यह सब संभव हो पाया है एक महिला प्रधान की सराहनीय और अच्छी सोच की वजह से.
जगदीशपुर ब्लॉक के पीछूती गांव में बेटियों के जन्म होने पर यहां ढोल नगाड़े बजाते हुए ग्रामीण जश्न मनाते हैं. इसके साथ ही एक दूसरे को मिठाई खिलाकर बधाई देते हैं. गांव में बेटी के जन्मोत्सव को एक बड़े उत्सव की तरह मनाया जाता है. इस गांव की बेटियां कहती हैं कि हम गांव की सम्मान और स्वाभिमान हैं.
बेटी के जन्म पर बजता है नगाड़ा
अमेठी जनपद के जगदीशपुर ब्लॉक में पीछूती गांव है. इस गांव में कई सालों से बेटियों के जन्म होने पर यहां उत्सव होता है. बेटियों के जन्म होने के बाद उनका जन्मोत्सव मनाया जाता है. ढोल नगाड़े के साथ उन्हें अस्पताल से घर तक सम्मान के साथ पहुंचाया जाता है. इसके साथ ही उनकी पूरी देखरेख के लिए जश्न मनाया जाता है. जहां मिठाइयां बांटने के अलावा जन्म से लेकर शादी विवाह तक सारी योजनाओं का लाभ उन्हें दिया जाता है.
रिटायर्ड आईएएस अधिकारी भी जुड़ी
महिला ग्राम प्रधान एकता द्विवेदी की पहल पर यह सब संभव हो पाया है. महिला ग्राम प्रधान एकता द्विवेदी ‘नन्ही परी फाउंडेशन’ भी चलाती हैं. इस फाउंडेशन से एक रिटायर्ड आईएएस अधिकारी एसके नंदा भी जुड़े हुए हैं. इस फाउंडेशन से जुड़कर महिला ग्राम प्रधान की हर समय साथ रहकर उनकी पूरी मदद करती हैं. इसके अलावा प्रधान खुद से भी हमेशा बेटियों के जन्म होने पर गांव में उत्सव दिवस का आयोजन करती हैं.
अभिशाप नहीं बेटी हैं सम्मान
ग्राम प्रधान एकता द्विवेदी ने लोकल 18 से बताया कि बेटियों को आज लोग अभिशाप मानते हैं. उनके जन्म होने पर मायूसी छा जाती है, लेकिन बेटियां अभिशाप नहीं, बल्कि सम्मान हैं. बेटियों को बेटों के बराबर दर्जा देना चाहिए. उन्हें पूरा सम्मान देना चाहिए. उन्होंने कहा कि गुजरात में रहकर उन्होंने अपनी पूरी पढ़ाई की. जब उनकी शादी इस गांव में हुई.
ग्राम प्रधान बनते ही शुरू किया पहल
एकता द्विवेदी ने बताया कि ग्राम प्रधान बनते ही उन्होंने इस पहल को शुरू किया और आज तक इस गांव में बेटियों के जन्म होने पर यहां उत्सव मनाया जाता है. उन्होंने कहा कि बेटियों को हमेशा सम्मान की नजर से देखा जाए. उन्होंने कहा कि बेटियां आज वह कर सकती हैं, जो कोई नहीं कर सकता है. हर असंभव कार्य को संभव करने में बेटियों की अहम भूमिका है. उन्होंने कहा कि गांव के सभी लोग उनका पूरा सहयोग करते हैं. वह हमेशा इस कार्य को इसी निष्ठा और लगन के साथ करती रहेंगी.
राज्यपाल से भी मिल चुका है सम्मान
प्रधान एकता द्विवेदी को इस कार्य के लिए यूपी की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से सम्मान मिल चुका है. जब इस अनोखी पहल की जानकारी यूपी की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को हुई तो राज्यपाल ने उन्हें राज्य भवन बुलाकर उनसे न सिर्फ बातचीत की. बल्कि उन्हें प्रशस्ति पत्र और प्रमाण पत्र भी सौंपा. इसके साथ ही हर संभव सहायता देने की बात कही.