कन्नौज के इस इत्र में हैं औषधिय गुण, खूशबू के अलावा जोड़ों के दर्द में भी आता है काम

Agency:News18 Uttar Pradesh
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कन्नौज के व्यापारी फूलों के साथ साथ जड़ी-बूटियों से भी इत्र/ऑयल निकालते हैं. ऐसी ही एक जड़ी-बूटी है जिसका नाम नागर मोथा है. इसका इस्तेमाल इत्र बनाने के साथ साथ औषधी बनाने में किया जाता है.
खुशबू के साथ औषधि गुण से है भरपूर
कन्नौज: कन्नौज में फूलों के साथ साथ कई तरह की जड़ी बूटियों से भी इत्र निकाला जाता है. ऐसे में एक ऐसी जड़ी- बूटी है जो इत्र की खुशबू देने के साथ साथ औषधीय गुणों में भी काम आता है. इसका सबसे ज्यादा प्रयोग जोड़ो के दर्द संबंधित दवाओं में प्रयोग होता है. ये विशेष प्रकार की जड़, असम और एमपी के क्षेत्र में मिलती है. इसको सुखाकर इसे बुरादे की तरह पीसकर इसका इत्र निकाला जाता है.
क्या है नाम और खासियत
असम व एमपी क्षेत्र में यह विशेष प्रकार की जड़ी-बूटी जैसी जड़ मिलती है. देखने में तो यह बहुत साधारण सी जड़ लगती है, लेकिन इसके औषधिय गुण इसको असाधारण बनाते हैं. इसका नाम नागर मोथा है, यह असम और मध्य प्रदेश के क्षेत्र में अधिकतर पाई जाती है. इसके बाद वहां से ट्रैक के द्वारा कन्नौज के इत्र व्यापारी इसको यहां मंगवाते हैं, फिर इसकी साफ सफाई करके इसको धूप में सुखाया जाता है, क्योंकि इसमें मिट्टी बहुत लगी होती है, सूखने के बाद मिट्टी अलग हो पाती है.
कैसे बनता इत्र
नागर मोथा की साफ सफाई के बाद इसको बारीक-बारीक पीस लिया जाता है. इसके बाद मानक के अनुसार पानी और इस बुरादे को डेग में भर दिया जाता है. इसके बाद धीरे-धीरे आंच देते हुए 300 डिग्री पर जब आंच पहुंच जाती है तब रोक दिया जाता है. उसके बाद लगातार इसमें पानी कम ज्यादा होता है जिसका ध्यान रखा जाता है. यह काम लगातार 12 घंटे तक चलता है. इसके बाद इत्र तैयार होता है. भाप बनकर इत्र ऊपर आ जाता है और पानी नीचे रह जाता है.
किन किन चीजों में होता प्रयोग
नागर मोथा एक ऐसी जड़ी बूटी है जो खुशबू के साथ-साथ औषधियों में भी बड़े पैमाने पर प्रयोग होती है. नेचुरल कंपाउंडिंग में यह ऊद के सब्सीट्यूट के रूप में काम करता है. जिससे ऊद के जैसे कई इत्र बनते हैं. वहीं इसका तेल अरोमा थेरेपी में भी बहुत काम आता है. जोड़ों के दर्द में इसका प्रयोग बहुत खास रहता है, जोड़ों से दर्द संबंधित प्रोडक्टों में इसका बड़े पैमाने पर प्रयोग होता है.
क्या रहता रेट कब से बनता
वहीं इसके रेट की बात की जाए, तो उसका रेट हमेशा एक नहीं रहता. पिछले साल करीब 15 से 28000 रुपए किलो तक था, तो वही इस साल इसकी रेट का आकलन ₹22000 के आसपास लगाया जा रहा है. दिसंबर माह के बाद कन्नौज के इत्र व्यापारी इसको बनाना शुरू कर देते हैं.
क्या बोले इत्र व्यापारी
लोकल 18 से बात करते हुए इत्र व्यापारी निशीष तिवारी बताते हैं कि इत्र उद्योग में नागर मोथा का बहुत खास महत्व है. ऊद संबंधित खुशबू बनाने में नागर मोथा का अहम रोल रहता है, क्योंकि ऊद बहुत महंगा रहता है जिस कारण हर कोई उसको नहीं खरीद पाता. वहीं नागर मोथा लगभग ऊद की खुशबू देता है और उससे संबंधित कई इत्र इससे बनते हैं. वही जॉइंट पेन के लगभग सभी प्रोडक्टों में नगर मोथा के इत्र का प्रयोग किया जाता है, क्योंकि यह गर्म होता है जिस कारण यह काफी लाभदायक भी साबित होता है.
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January 27, 2025, 18:39 IST