‘क्रिकेट से प्यार करो, नाम खुद मिलेगा’, पीयूष चावला ने युवाओं को दी कामयाबी की

Last Updated:
भारतीय लेग स्पिनर पीयूष चावला ने बताया कि कैसे वे बल्लेबाज से लेग स्पिनर बने. टेस्ट क्रिकेट को असली परीक्षा मानते हैं. उन्होंने कानपुर के स्पोर्ट्स हब की तारीफ करते हुए युवाओं को मेहनत और ईमानदारी से खेलने की स…और पढ़ें
हाइलाइट्स
- लोकल 18 से पीयूष चावल की खास बातचीत
- युवाओं को दी क्रिकेट खेलने की प्रेरणा
- लेग स्पीन को लेकर दिया खास टिप्स
कानपुर- भारतीय क्रिकेट के अनुभवी लेग स्पिनर पीयूष चावला का करियर उन युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो क्रिकेट में अपना नाम बनाना चाहते हैं. कानपुर के द स्पोर्ट्स हब (TSH) में आयोजित एक क्रिकेट कैंप के दौरान पीयूष चावला ने लोकल18 से खास बातचीत की और अपने सफर के कई अनसुने पहलुओं को साझा किया.
पीयूष चावला ने खुलासा किया कि उन्होंने क्रिकेट में अपने करियर की शुरुआत एक बल्लेबाज के रूप में की थी. लेकिन मुरादाबाद में एक कैंप के दौरान उनके कोच केके गौतम ने उन्हें लेग स्पिन आजमाने की सलाह दी. आगे उन्होंने कहा कि शुरुआत में यह मुझे अटपटा लगा, लेकिन मेरी कलाई में जो फ्लेक्सिबिलिटी और कला थी, वो शायद भगवान की देन थी. मैंने मेहनत की और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.
रोज 100 से ज्यादा गेंदें डालनी होंगी
चावला ने कहा कि लेग स्पिन एक बेहद तकनीकी और चुनौतीपूर्ण कला है. इसमें माहिर बनने के लिए केवल नेट पर 8 ओवर बॉलिंग करना काफी नहीं होता, जो खिलाड़ी रोज सिर्फ 8 ओवर फेंककर परफेक्ट लेग स्पिनर बनने की सोचते हैं, वो गलतफहमी में हैं. हर दिन 100 से 120 गेंदें डालो, तभी फर्क महसूस होगा.
चावला टेस्ट क्रिकेट को सबसे कठिन और प्रतिष्ठित फॉर्मेट मानते हैं . उन्होंने कहा कि टेस्ट क्रिकेट ही खिलाड़ी की असली स्किल, अनुशासन और मानसिक ताकत की परीक्षा लेता है. पांच दिन मैदान पर टिके रहना और लगातार प्रदर्शन करना आसान नहीं है.
देशभर में हो ऐसे मॉडल
चावला ने कानपुर स्थित द स्पोर्ट्स हब की जमकर तारीफ की. उन्होंने कहा कि यहां का इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतरीन है और फीस बेहद सामान्य है, जिससे हर वर्ग के बच्चे यहां ट्रेनिंग ले सकते हैं. उन्होंने आगे कहा कि मुझे लगता है कि देशभर में इस तरह के मॉडल स्पोर्ट्स हब बनने चाहिए, ताकि हर बच्चा एक समान मौके पा सकें.
100 बच्चों को मिल रहा मुफ्त प्रशिक्षण
TSH के निदेशक प्रणीत अग्रवाल ने बताया कि वर्तमान में संस्थान में 100 बच्चों को मुफ्त प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिनमें से 40 बच्चे हॉस्टल में रह रहे हैं. साथ ही यह जानकारी भी दी कि पालिका स्टेडियम में मेट्रो के एक छोर का नाम पीयूष चावला एंड रखा जाएगा.