जानिए क्या है महराजगंज के रामग्राम का इतिहास, बुद्ध के महापरिनिर्वाण से है संबंध

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Maharajganj News: महराजगंज का धारमौली गांव बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए महत्वपूर्ण है. यहां कोलिय समुदाय के लोग रहते थे. उत्खनन शुरू हो चुका है, जिससे पर्यटन और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा.
रामग्राम.
महराजगंज: उत्तर प्रदेश का महराजगंज जिला समय–समय पर चर्चाओं में बना रहता है. इन दिनों महराजगंज जिले के चौक क्षेत्र का धारमौली गांव इन दिनों चर्चा में है. रामग्राम के नाम से जाना जाने वाला यह क्षेत्र बौद्ध धर्म के अनुयाइयों के लिए बेहद खास माना जाता है. बौद्ध धर्म के लोगों का ऐसा मानना है कि यहां पहले कोलिय समुदाय के लोग रहते थे, जो बौद्ध विकास में आस्था रखते थे. अलग–अलग इतिहासकार भी अपनी पुस्तकों में इस बात की चर्चा कर चुके हैं, जो इसके महत्व को दर्शाता है.
यहां की भौगोलिक स्थिति इतिहास की ओर करती है इशारा
इतिहासकार ब्रजेश पाण्डेय ने लोकल 18 से बातचीत के दौरान बताया कि इस क्षेत्र में बहुत से ऐसे ऐतिहासिक साक्ष्य मौजूद हैं, जो इसके बौद्धकालीन प्रामाणिकता की ओर इशारा करते हैं. उन्होंने बताया कि इस इस स्थान के आस–पास बहुत से कोल के वृक्ष हैं. इन कोल के वृक्षों की वजह से ही यहां रहने वाले लोग कोलिय कहे जाते थे. इसके अलावा इस स्थल के आस–पास की भौगोलिक स्थिति भी इसके बौद्धकालीन होने की संभावना व्यक्त करती है. एक लंबे समय से इस स्थान के उत्खनन को लेकर बौद्ध धर्म के अनुयाई संघर्ष कर रहे थे. हालांकि अब इसका उत्खनन शुरू हो चुका है, जो अभी एक लंबे समय तक चलने वाला है.
पर्यटन और आर्थिक गतिविधि को मिलेगा प्रोत्साहन
इतिहासकार ब्रजेश पाण्डेय बताते हैं कि इतिहास के पुस्तकों में जो वर्णित है. उसके मुताबिक यही क्षेत्र रहा होगा जहां कोलिय लोग रहते थे. हालांकि अब आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की टीम इसकी जांच करने में लग गई है जिसके बाद इसकी पुष्टि होनी है. उन्होंने बताया कि यदि इस स्थान के उत्खनन के बाद अवशेष मिलते हैं तो यह महराजगंज जिले के लिए एक बड़ी घटना होगी. इसके साथ ही यह एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होगा और आने वाले समय में बौद्ध धर्म में आस्था रखने वाले लगभग प्रत्येक व्यक्ति यहां आने चाहेंगे. इससे न सिर्फ पर्यटन का विकास होगा बल्कि आर्थिक गतिविधियां भी बढ़ेगी.