त्रेता युग में इसी जगह दशरथ के बेटों को पढ़ाया गया, बस्ता लेकर आते थे राम-लक्ष्मण, आज भी जस की तस

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त्रेता युग में इसी जगह दशरथ के बेटों को पढ़ाया गया, बस्ता लेकर आते थे राम-लक्ष्मण, आज भी जस की तस


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Vidya kund Ayodhya : त्रेता युग में इसी जगह पर गुरु वशिष्ठ ने प्रभु राम, लक्ष्मण, भारत और शत्रुघ्न को विद्या दी थी. आज यह कुंड अयोध्या आने वाले श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र बनकर उभरा है.

अयोध्या. रामनगरी अयोध्या अपने मठ-मंदिरों की वजह से पूरी दुनिया में विख्यात है. अयोध्या में त्रेता कालीन बहुत सी ऐसी धरोहर हैं, जो आज भी जस की जस हैं. यहां कई प्राचीन कुंड हैं जो रामायण कालीन याद को ताजा करती हैं. ऐसा ही एक विद्या कुंड है. धार्मिक मान्यता है कि इसी कुंड पर प्रभु राम अपने तीनों भाइयों के साथ गुरु वशिष्ठ से विद्या ग्रहण करते थे. यानी इस कुंड को शिक्षा का केंद्र माना जाता था. ये कुंड साल 2017 के पहले जर्जर स्थिति में था. श्रद्धालु आते तो थे, लेकिन यहां नहीं जाते थे क्योंकि यहां कोई व्यवस्था नहीं थी. साल 2017 में प्रदेश में योगी सरकार आने के बाद अयोध्या का कायाकल्प शुरू हुआ. इसी कड़ी में, अयोध्या के प्राचीन कुंडों को भी संरक्षित किया गया. विद्या कुंड आज अयोध्या के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है.

धार्मिक मान्यता के अनुसार, त्रेता युग में इसी जगह पर गुरु वशिष्ठ ने प्रभु राम, लक्ष्मण, भारत और शत्रुघ्न को विद्या दी. आज ये कुंड अयोध्या आने वाले श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र बनकर उभरा है. कुंड के आसपास हरियाली को विकसित किया गया है. कुंड पर एक स्कैनर भी लगाया गया है, जिसे स्कैन कर इस कुंड के बारे में पूरा इतिहास जाना जा सकता है. कभी खंडहर रहा ये कुंड, आज सभी मूलभूत सुविधाओं से लैस है.

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राम कचहरी मंदिर के महंत शशिकांत दास बताते हैं कि अयोध्या प्रभु राम से जुड़ी है. यहां प्रभु राम का जन्म हुआ था और यहीं पर प्रभु राम से जुड़ी कई ऐसे धरोहर आज भी मौजूद हैं, जिसका कायाकल्प प्रदेश की योगी सरकार करवा रही है. मणि पर्वत के पास विद्या कुंड है, जहां प्रभु राम अपने भाइयों के साथ शिक्षा ग्रहण करते थे. आज उस कुंड पर जाने के बाद एक अलग ऊर्जा मिलती होती है. शांत माहौल रहता है. श्रद्धालु भी हजारों की संख्या में पहुंचते हैं. यहां पर कई ऋषि मुनि और विद्वान भी अपना समय व्यतीत कर चुके हैं. इस कुंड पर स्नान और दर्शन मात्र से व्यक्ति को विद्या ग्रहण करने की शक्ति मिलती है.

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इसी जगह दशरथ के बेटों को पढ़ाया गया, बस्ता लेकर आते थे राम-लक्ष्मण



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