पहले आजम खान, अब मुख़्तार अंसारी का परिवार, कैसे योगी राज में ढहता गया बाहुबलियों का सियासी किला

Last Updated:
UP Politics: योगी सरकार की सख्त नीतियों ने आजम खान और मुख़्तार अंसारी के सियासी किलों को ढहा दिया है. आजम खान और उनके बेटे की विधायकी रद्द हो गई, जबकि अब्बास अंसारी को सजा मिली. बीजेपी मऊ सदर सीट पर नजरें गड़ाए …और पढ़ें
UP Politics: योगी राज में ढहता बाहुबलियों का सियासी किला
हाइलाइट्स
- आजम खान और मुख़्तार अंसारी का सियासी किला ढहा.
- योगी सरकार की सख्त नीतियों ने बाहुबलियों पर नकेल कसी.
- बीजेपी मऊ सदर सीट पर नजरें गड़ाए है.
लखनऊ. उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद से सियासी बाहुबलियों के दिन बदल गए हैं. पहले समाजवादी पार्टी (सपा) के कद्दावर नेता आजम खान और उनके परिवार का सियासी किला ढहा, और अब माफिया से नेता बने मुख़्तार अंसारी के परिवार का दबदबा भी खत्म होने की कगार पर है. योगी सरकार की सख्त नीतियों और कानून के शिकंजे ने इन सियासी घरानों की जड़ें हिला दी हैं.
रामपुर को लंबे समय तक अपना गढ़ मानने वाले सपा नेता आजम खान का सियासी सफर 2017 में योगी सरकार के सत्ता में आने के बाद मुश्किलों में पड़ गया. 2019 के हेट स्पीच मामले में आजम खान को तीन साल की सजा सुनाई गई, जिसके बाद उनकी विधायकी रद्द हो गई. इसके बाद 2022 में रामपुर विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी के आकाश सक्सेना ने जीत हासिल कर इतिहास रच दिया, और पहली बार रामपुर से एक गैर-मुस्लिम प्रत्याशी विधायक बना. आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम की भी स्वार सीट से विधायकी 2023 में एक 15 साल पुराने मामले में दो साल की सजा मिलने के बाद चली गई. स्वार उपचुनाव में बीजेपी-अपना दल (एस) गठबंधन के शफीक अंसारी ने सपा की अनुराधा चौहान को हरा दिया. 45 साल तक रामपुर पर राज करने वाले आजम खान का सियासी किला अब पूरी तरह ध्वस्त हो चुका है.
हेट स्पीच केस में सजा, अब्बास अंसारी की विधायकी गई
मुख़्तार अंसारी का परिवार, जो पूर्वांचल में अपनी सियासी और आपराधिक पकड़ के लिए जाना जाता था, भी योगी राज में टूटता नजर आ रहा है. मऊ सदर से सुभासपा विधायक और मुख़्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी को 2022 विधानसभा चुनाव के दौरान हेट स्पीच मामले में दोषी ठहराया गया. मऊ की एमपी/एमएलए कोर्ट ने उन्हें 31 मई 2025 को दो साल की सजा सुनाई, जिसके बाद उनकी विधायकी रद्द कर दी गई. इस फैसले के बाद मऊ सदर सीट पर उपचुनाव की स्थिति बन गई है. अब्बास की मां अफ्शां अंसारी फरार हैं और उन पर 50 हजार रुपये का इनाम है, जबकि छोटा बेटा उमर अंसारी भी कई मामलों में वांछित है. मुख़्तार अंसारी के बड़े भाई और गाजीपुर से सपा सांसद अफजाल अंसारी पर भी पांच मुकदमे दर्ज हैं, हालांकि उनकी संसद सदस्यता को कोर्ट से राहत मिली थी.
बीजेपी की नजर मुस्लिम बाहुल्य सीट पर
मुख़्तार अंसारी की मौत और उनके परिवार की कमजोर स्थिति का फायदा उठाने के लिए बीजेपी ने मऊ सदर सीट पर नजरें गड़ा दी हैं. पार्टी इस मुस्लिम बाहुल्य सीट पर उपचुनाव में भगवा फहराने की रणनीति बना रही है, जैसा कि उसने रामपुर और कुंदरकी में किया था. बीजेपी और उसकी सहयोगी सुभासपा के बीच इस सीट को लेकर खींचतान शुरू हो गई है, लेकिन बीजेपी हर हाल में इस सीट को जीतने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंकने को तैयार है.
योगी सरकार की सख्ती: बाहुबलियों पर नकेल
2017 में योगी सरकार के सत्ता में आने के बाद से बाहुबली नेताओं पर सख्त कार्रवाई की गई है. मुख़्तार अंसारी, जो मऊ से पांच बार विधायक रहे, पर कई मुकदमे दर्ज किए गए. उनकी मृत्यु के बाद उनके परिवार की सियासी विरासत संकट में है. इसी तरह, आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला पर भी कई मामले दर्ज किए गए, जिसके चलते उनकी सियासी पकड़ कमजोर हुई. योगी सरकार की “कानून का राज” नीति ने इन बाहुबली नेताओं के प्रभाव को खत्म करने में अहम भूमिका निभाई है.
क्या बचेगा अंसारी परिवार का वजूद?
मुख़्तार अंसारी की सियासी विरासत को संभालने की जिम्मेदारी अब उनके छोटे बेटे उमर अंसारी पर आ सकती है. चर्चा है कि अगर मऊ सदर में उपचुनाव होता है, तो उमर सपा के टिकट पर चुनाव लड़ सकते हैं. हालांकि, बीजेपी की मजबूत रणनीति और योगी सरकार की सख्ती के सामने अंसारी परिवार के लिए अपनी सियासी साख बचाना आसान नहीं होगा.

Principal Correspondent, Lucknow