पीलीभीत के इस 500 साल पुराने मंदिर में क्यों हैं 2 कुत्तों की समाधि? जानें इसका रहस्य

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पीलीभीत के इस 500 साल पुराने मंदिर में क्यों हैं 2 कुत्तों की समाधि? जानें इसका रहस्य


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Puraina temple of Pilibhit : आमतौर पर किसी मंदिर में भगवान की मूर्ति, या किसी साधु-संत की समाधि देखने को मिलती है. लेकिन पीलीभीत में एक मंदिर ऐसा भी है जहां 500 साल पुराने रूखड़नाथ बाबा मंदिर में दो कुत्तों की…और पढ़ें

हाइलाइट्स

  • पीलीभीत के पुरैना मंदिर में दो कुत्तों की समाधि है.
  • मंदिर में दर्शन से रोग दोष दूर होने की मान्यता है.
  • मंदिर 500 साल पुराना है और बाबा रूखड़नाथ से जुड़ा है.

पीलीभीत : आम तौर पर कोई भी मंदिर किसी भगवान की विशेष प्रतिमा, संत या फिर किसी सरोवर आदि के लिए प्रसिद्ध होता है. लेकिन पीलीभीत का एक मंदिर ऐसा भी है जो महान संत के साथ ही साथ जानवरों की समाधि के लिए जाना जाता है. इतना ही नहीं ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में बनी समाधि के दर्शन से रोग-दोष दूर हो जाते हैं.

यूपी के पीलीभीत की प्राकृतिक विरासत से तो देश विदेश वाकिफ है, लेकिन पीलीभीत की कई आध्यात्मिक विरासत ऐसी हैं जिनसे खुद जिले के लोग ही परिचित नहीं हैं. एक ऐसी ही विरासत है पीलीभीत शहर से 12 किलोमीटर दूर जहानाबाद में स्थित पुरैना मंदिर. इस प्राचीन मंदिर को रूखड़नाथ बाबा मंदिर के नाम से भी जाना जाता है.

500 साल पुराना है मंदिर का इतिहास
स्थानीय बुजुर्गों के अनुसार यह मंदिर 500 साल से भी अधिक पुराना है. मंदिर को लेकर मान्यता है कि इस स्थान पर रूखड़नाथ बाबा नामक एक सिद्ध संत रहा करते थे. उस दौरान यहां पर बस्ती न होकर घने जंगल हुआ करता था. ऐसे में बाबा रूखड़नाथ यहां पर एकांतवास कर साधना किया करते थे. मंदिर की स्थापना को लेकर जनश्रुति है कि इसी स्थान पर बाबा रूखड़नाथ भगवान शिव की आराधना किया करते थे. जिस शिवलिंग की बाबा पूजा करते थे उसी स्थान पर बाद में मंदिर निर्माण कर दिया गया.

क्या है भक्तों की मान्यता
संतों व महापुरुषों की समाधि तो हम सबने देखी है लेकिन बेहद ही कम लोग होंगे जिन्होंने किसी पशु की समाधि देखी हो. पीलीभीत के बाबा रुखड़नाथ (पुरैना) मंदिर में दो कुत्तों की समाधि भी बनी है. ऐसी मान्यता है कि बाबा रूखड़नाथ के साथ ही कुत्तों का जोड़ा भी रहा करता था. ऐसी मान्यता है कि ये जोड़ा भी बाबा के साथ भगवान शिव की आराधना करता था. आयु पूरी होने के बाद उन्होंने भी समाधि ले ली थी. ठीक उसी स्थान पर उनकी प्रतिमा बनाई गई है. मान्यता है कि इस स्थान पर पूजन करने से कुत्ते के काटने के रोग दोष नष्ट हो जाते हैं.

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