इस रोग से लगाइए आलू की फसल में पोषक तत्वों की कमी का पता

0
इस रोग से लगाइए आलू की फसल में पोषक तत्वों की कमी का पता


Last Updated:

Potato Crop method : ये बीमारी पत्तियों के ऊपर दिखेगी और एक समय ऐसा आएगा जब पत्ती पूरी तरह झुलस जाएगी.

X

आलू की फसल में लग गया यह रोग तो हो जाएगी फसल खराब

कन्नौज. जिले में आलू की खेती करने वाले किसानों को अब बेहद सतर्क रहने की जरूरत है, क्योंकि जैसे-जैसे फसल के दिन बढ़ रहे हैं, उसमें कई तरह के रोग लगने की संभावना प्रबल हो जाएगी. कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि परंपरा नामक एक ऐसा रोग है जो आलू की फसल को 10 प्रतिशत या उससे अधिक खराब कर सकता है. ये रोग छोटी सी पत्ती से शुरू होकर पूरे पौध को खराब करता है. ये रोग आलू की पत्तियों पर हल्का पीला या अलग-अलग रंग में दिखने लगता है. ये रोग तब लगता है जब फसल को संपूर्ण पोषक तत्व नहीं मिल पाते. ऐसे में ये रोग ही बताता है कि फसल में किस पोषक तत्व की कमी रह गई है.

क्या करें उपाय

परंपरा रोग पत्तियों के ऊपरी हिस्से में दिखने लगता है, एक समय ऐसा आता है जब पत्ती पूरी तरह से जली हुई दिखने लगती है. इसे हाथ से तोड़ने पर क्रंचीपन की आवाज आती है. आलू की फसल में कई और रोग भी लगते हैं, जिसमें पत्तियां में पीलापन सहित कई तरह के धब्बे देखने को मिलते हैं. ऐसे में किसानों को समझ जाना चाहिए कि उनकी फसल में कुछ पोषक तत्वों की कमी रह गई है. इनसे निपटने के लिए किसानों को सबसे पहले पांच से सात ग्राम पोटाश एक लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें. तीन से पांच ग्राम जिंक एक लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से भी समय रहते इस समस्या पर काबू पाया जा सकता है.

क्या बोले वैज्ञानिक

लोकल 18 से बात करते हुए कृषि वैज्ञानिक डॉ. अरविंद कुमार बताते हैं कि कन्नौज में किसान करीब 54 हजार हेक्टेयर आलू बोते हैं. किसान की फसल करीब 45 से 50 दिन की हो गई है. ऐसे में कुछ विशेष सावधानियां बरतने की जरूरत है. परंपरा रोग लगने की सूरत में कृषि वैज्ञानिकों से तत्काल परामर्श करके फसल में जिन पोषक तत्वों की कमी हुई है, उन्हें डालकर बेहतर उपज पाई जा सकती है. ये रोग लगने का सिर्फ एक ही करण होता है कि फसल बोने के दौरान पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्वों का प्रयोग नहीं होना.

homeagriculture

इस रोग से लगाइए आलू की फसल में पोषक तत्वों की कमी का पता



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *