ऐतिहासिक धरोहर: हजारों बागियों के खून सनी हुई है यहां की मिट्टी, सच्चाई जान आप भी करेंगे सैल्यूट, आज कोई…

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ऐतिहासिक धरोहर: हजारों बागियों के खून सनी हुई है यहां की मिट्टी, सच्चाई जान आप भी करेंगे सैल्यूट, आज कोई…


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Ballia News :बलिया का शहीद पार्क स्वतंत्रता संग्राम का महत्वपूर्ण स्थल है, जहां हजारों सेनानियों ने बलिदान दिया. स्थानीय लोग इसके संरक्षण की मांग कर रहे हैं.

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बलिया की ऐतिहासिक धरोहर शहीद पार्क

बलिया: आज हम आपको एक ऐसी ऐतिहासिक जगह के बारे में बताने जा रहे हैं, जो न सिर्फ बलिया बल्कि, पूरे देश की आज़ादी की लड़ाई का अहम हिस्सा रही है. यह जगह उन वीर सेनानियों के बलिदान की कहानी सुनाती है, जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपनी जान दे दी. बलिया शहर के बीचोंबीच स्थित शहीद पार्क, जहां स्वतंत्रता संग्राम की यादें आज भी ताजगी से जिंदा हैं, एक ऐतिहासिक धरोहर के रूप में खड़ा है. यह जगह सिर्फ बलिया नहीं, बल्कि देश के इतिहास के लिए भी बेहद खास है.

बेहद खास है ये ऐतिहासिक पार्क
इतिहासकार डॉ. शिवकुमार सिंह कौशिकेय बताते हैं, यह सिर्फ बलिया का ऐतिहासिक स्थल नहीं है, बल्कि यह दुनिया का एक अनोखा स्थल है. यहां से 1200 गलियां जुड़ी हुई हैं, और यह दुनिया का पहला चौराहा है, जहां से छह रास्ते निकलते हैं. उनका कहना है कि ब्रिटिश इंजीनियरों ने इसे खास तरीके से डिजाइन किया था, और यहां से निकलने वाले सभी रास्ते शहीद पार्क तक पहुंचते हैं. शहीद पार्क अब स्वतंत्रता संग्राम का एक तीर्थ स्थल बन चुका है.

शहीद पार्क की ऐतिहासिक अहमियत
यह वही जगह है, जहां हजारों स्वतंत्रता सेनानियों को ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष करने के कारण सजा दी गई थी. शहीद पार्क की मिट्टी में उन सेनानियों का खून आज भी मौजूद है, जिन्होंने देश की आज़ादी के लिए अपनी जान दी. शहीद पार्क के पास स्थित लोहा पट्टी पर अंग्रेजों ने नौ स्वतंत्रता सेनानियों को गोली मारी थी. यह वही जगह है, जहां से स्वतंत्रता संग्राम के कई जुलूस निकले थे. इस ऐतिहासिक स्थल पर उन सभी सेनानियों के नाम शिलापट्ट पर लिखे गए हैं.

इस ऐतिहासिक धरोहर को सहेजने की जरूरत
स्थानीय निवासी सागर सिंह राहुल ने कहा कि यहां की मिट्टी में सेनानियों का खून मिला है, इस वजह से यहां के लोगों में आज भी भागी तेवर देखने को मिलता है. वहीं मंजय सिंह कहते हैं, यह हमारी धरोहर है, लेकिन इसका विकास बेहद जरूरी है. जिला प्रशासन इसकी ठीक से देखभाल नहीं कर रहा है. रजनीकांत सिंह ने कहा कि, “आज भी बलिया के 90% जुलूस यहीं से निकलते हैं, लेकिन इस जगह की व्यवस्थाएं बहुत खराब हो चुकी हैं. कहा उम्मीद है कि सरकार इस ऐतिहासिक स्थल का संरक्षण और विकास करेगी.

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