कंट्रोल करती है हार्ट अटैक, चुटकियों में भर देती है जख्म, अयोध्या की कृषि यूनिविर्सिटी ने उगाई लौंग वाली जुदाई सब्जी
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Clove beans benefits : मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु राम की नगरी प्राचीन धरोहर के साथ अब वैज्ञानिक उपलब्धियों के लिए भी अपनी अलग पहचान बना रही है. इन दिनों अयोध्या के आचार्य नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय में सब्जी की एक नई प्रजाति तैयार हो रही है. इसकी खासियत जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे. दिखने में ये लौंग की तरह लगती है, लेकिन स्वाद में बिल्कुल अलग है. इपोमिया मुरीकाटा के नाम से जानी जाने वाली ये सब्जी एंटीऑक्सीडेंट, फाइबर और विटामिन से भरपूर है.
आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (कुमारगंज) में सब्जी विज्ञान विभाग लौंग की तरह सब्जी की नई प्रजाति विकसित कर रहा है. इसका नाम लौंग बीन रखा गया है. यह अपने औषधि गुण के चलते काफी चर्चित भी हो रहा है. इपोमिया मुरीकाटा के नाम से जानी जाने वाली ये बेल वाली सब्जी एंटीऑक्सीडेंट, फाइबर और विटामिन से भरपूर है. इसे पका कर खाया जाता है. ये लौंग से बिल्कुल भिन्न है, लेकिन उसी तरह दिखाई देती है.

कुमारगंज कृषि विश्वविद्यालय के सब्जी विज्ञान विभाग के परिक्षेत्र में लौंग बीन की पांच किस्में लगाई गई हैं. इन पर सब्जी विज्ञान विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. आस्तिक झा अपनी पूरी टीम के साथ शोध कर रहे हैं.

ये सब्जी आकार में छोटा और नुकीली होता है, जो एकदम लौंग जैसा दिखाई देती है. ये बेल पर गुच्छी में उगती है. इसकी कोमल फलियों को खाया जाता है. पकने के बाद इसका फल लगभग 2 सेंटीमीटर का होता है. यह बैगनी-लाल रंग का भी हो जाता है.
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सब्जी विज्ञान विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. झा ने बताया कि लौंग बीन एक औषधि सब्जी है, जो केरल और कर्नाटक जैसे दक्षिण भारतीय राज्यों में काफी लोकप्रिय है. इसे मुख्य रूप से औषधि के लिए उपयोग किया जाता है. ये हार्ट अटैक, कोलेस्ट्रॉल और रक्तचाप को भी नियंत्रित करने में सहायक माना जाता है. इसमें प्रचुर मात्रा में फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है, जो पाचन में भी मदद करता है.

इसका उपयोग पेट की समस्या, बुखार, सिर, दर्द और ब्रोकॉस्टिक्स जैसे रोग के इलाज में किया जाता है. इसकी पत्तियों का इस्तेमाल घाव भरने और सूजन को कम करने में होता है. यह कई लाभकारी विटामिन से भरपूर है.