कंप्यूटर से भी तेज चलते हैं इन कारीगरों के हाथ, बनाते हैं खूबसूरत डिजाइन, आप..

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कंप्यूटर से भी तेज चलते हैं इन कारीगरों के हाथ, बनाते हैं खूबसूरत डिजाइन, आप..


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फर्रुखाबाद के राजकुमार, जो कभी छैनी-हथौड़ी से जीवन यापन करते थे, आज पारंपरिक धातु काम में माहिर हैं. वह टिन की चादरों पर मार्का बनाते हैं, जिनकी डिमांड हमेशा रहती है.

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आकर्षक छपाई मार्का तैयार करते कारीगर 

हाइलाइट्स

  • राजकुमार की पारंपरिक धातु कारीगरी की सराहना हो रही है.
  • राजकुमार हर दिन 20-25 पीस मार्का तैयार कर बाजार में बेचते हैं.
  • राजकुमार का व्यवसाय पूर्वजों से चला आ रहा है, वह इसे जारी रखे हुए हैं.

फर्रुखाबाद: कभी गरीबी के दिनों में छैनी और हथौड़ी हाथ में थामे जीवन यापन कर रहे थे, लेकिन आज वही कारीगर अपने काम से पहचान बना चुके हैं. फर्रुखाबाद के राजकुमार, जो एक मेहनतकश कारीगर हैं, आज ऐसे डिज़ाइन बनाते हैं जिन्हें हर कोई सराहता है. उनका काम कंप्यूटर से भी तेज चलता है और उनकी कड़ी मेहनत ने उन्हें एक नई दिशा दी है.
राजकुमार, पारंपरिक धातु काम में माहिर हैं। वह टिन की चादरों पर छेनी और हथौड़ी से निशान बनाकर कई तरह के मार्का तैयार करते हैं, जो घरों, खेती और छपाई के कामों में काम आते हैं. इन मार्कों की हर समय डिमांड बनी रहती है, चाहे मौसम कोई भी हो. हालांकि, पहले इनका उपयोग ज्यादा होता था, लेकिन अब भी इनकी महत्वपूर्ण भूमिका बनी हुई है.

कड़ी मेहनत से मिल रहा लाभ
लोकल 18 से बातचीत में राजकुमार ने बताया कि उनका यह व्यवसाय पूर्वजों से चला आ रहा है और उन्होंने इसे अपनी पूरी मेहनत और समर्पण से आगे बढ़ाया है. महंगाई और आधुनिकता के इस दौर में, जहां लोग शहरों की ओर रुख कर रहे हैं, वह ग्रामीण इलाके में अपने परिवार के साथ इस कारीगरी को जारी रखे हुए हैं. फर्रुखाबाद के नेकपुर मशेनी गांव के निवासी राजकुमार अपने घर में ही यह पारंपरिक सामान तैयार करते हैं, जो के तरह के कामों में इस्तेमाल होते हैं.

खेतों और छपाई में इस्तेमाल होने वाले मार्के
यह कारीगर खेतों में फसलों के पैकेट पर नाम, किस्म, लॉट नाम और पहचान चिन्ह बनाने के लिए इन टिन की चादरों पर सुंदर चित्र उकेरते हैं. इसके अलावा, वह संबंधित फार्म का नाम भी अंकित करते हैं. इन सामानों की डिमांड हमेशा बनी रहती है, और राजकुमार हर दिन 20 से 25 पीस मार्का तैयार कर बाजार में बेचते हैं. इनकी कीमत आमतौर पर 50 रुपये तक होती है.

पारंपरिक तरीके से तैयार होते हैं ये सामान
राजकुमार के द्वारा तैयार किए गए इन मार्कों को बनाने की प्रक्रिया बेहद खास है. पहले टिन की चादर को समतल किया जाता है, फिर उसे साइज में काटकर गोल या चौकोर आकार में बदला जाता है. उसके बाद निरंतर हथौड़े की चोटों से उसे आकार दिया जाता है. फिर इस पर लकड़ी का हैंडल लगाया जाता है और यह छपाई के लिए तैयार हो जाता है.
राजकुमार की मेहनत और पारंपरिक कारीगरी की तारीफ हर जगह हो रही है, और वह आधुनिकता के इस दौर में भी अपने व्यवसाय को सफलतापूर्वक चला रहे हैं.

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