कुक्कुट पालन कर आत्मनिर्भरता की कहानी लिख रहीं इस गांव की महिलाएं, प्रतिमाह कमा रहीं इतने रुपये – Women in Sarma Village Achieve Self Reliance through Poultry Farming

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कुक्कुट पालन कर आत्मनिर्भरता की कहानी लिख रहीं इस गांव की महिलाएं, प्रतिमाह कमा रहीं इतने रुपये –  Women in Sarma Village Achieve Self Reliance through Poultry Farming


प्रतापगढ़ के सरमा गांव की महिलाएं कुक्कुट पालन के माध्यम से आर्थिक रूप से सशक्त हो रही हैं। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत गठित स्वयं सहायता समूह द्वारा मुर्गी पालन कर महिलाएं अपने परिवार का भरण-पोषण कर रही हैं और अन्य महिलाओं को भी रोजगार दे रही हैं। इस समूह में 11 महिलाओं को रोजगार से जोड़ा गया है।

जागरण संवाददाता, पट्टी (प्रतापगढ़)। महिलाएं भी आर्थिक रूप से सशक्त हों और स्वरोजगार कर परिवार में सहयोग करें, इसके लिए राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत समूह गठित किया गया है। महिलाओं को स्वरोजगार के लिए आर्थिक सहयोग भी उपलब्ध कराया जा रहा है।

समूह की महिलाओं को सामुदायिक शौचालयों के संचालन से लेकर कोटे की दुकानों तक के संचालन का जिम्मा दिया जा रहा है। आर्थिक रूप से कमजोर महिलाएं मुर्गी पालन करके अपने घर का खर्च चलाने के साथ ही अन्य महिलाओं को भी रोजगार दे रही हैं।

मुर्गी पालन कर महिलाएं बन रहीं आत्मनिर्भर

मुर्गी पालन ऐसा व्यवसाय है, जिससे अच्छी आय होती है। साथ ही दूसरों को भी रोजगार से जोड़ा जा सकता है। पट्टी क्षेत्र के सरमा गांव में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत गठित जय मां दुर्गे आजीविका स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा मुर्गी पालन कर अपने परिवार का भरण-पोषण किया जा रहा है।


साथ ही कुक्कुट बाजार में बेचकर आर्थिक रूप से लाभान्वित हो रही हैं। एडीओ आइएसबी राजेश गौतम व ब्लॉक मिशन प्रबंधक मो. शमीम की देखरेख में समूह की महिलाएं अपने को आर्थिक रूप से सशक्त करने के साथ ही समाज को दिशा प्रदान कर रही हैं। इस समूह में 11 महिलाओं को रोजगार से जोड़ा गया है।

महिलाओं को मिला रोजगार

समिति की सदस्य ऊषा देवी ने बताया कि कुक्कुट पालन से पूर्व आर्थिक संकट रहता था। घर के खर्चे के साथ बच्चों की पढ़ाई के लिए पैसा एकत्र करना काफी कठिन था। अब कुक्कुट पालन से हम लोग अपने बच्चों को पढ़ाई के खर्च के साथ ही घर के खर्चों को भी पूरा कर लेते हैं। इससे हम लोगों का परिवार हंसी-खुशी जीवन व्यतीत कर रहा है।
स्वयं सहायता समूह की अध्यक्ष शीला देवी ने बताया कि शासन से मिलने वाली सहायता व बैंक के सीसीएल लोन के माध्यम से हम लोग 1000 मुर्गी के बच्चों को एक साथ पाल रहे हैं। 36 दिन बाद उन्हें बाजार में बेचकर 45 हजार रुपये से अधिक मुनाफा कमाया जाता है। इसे समूह की सभी 11 सदस्यों में वितरित किया जाता है।

जीवन को नई दिशा दे रहीं महिलाएं

पट्टी के खंड विकास अधिकारी रामप्रसाद ने बताया कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) ने मुर्गी पालन के व्यवसाय से महिलाओं को जोड़कर उनकी तकदीर बदलने का काम किया है। अब पट्टी ब्लॉक के सरमा गांव की महिलाएं आत्मनिर्भर बनकर परिवार को बेहतर जीवन के साथ नई दिशा देने का कार्य कर रही हैं। इनकी सफलता को देखते हुए इसे अन्य गांव की समूह की महिलाओं द्वारा शुरू करने को प्रेरित किया जाएगा।
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