क्या खत्म हो जाएगी खेती? किसान खुद बुला रहे कयामत, यही चलता रहा तो निकल जाएंगे हाथ से हालात

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क्या खत्म हो जाएगी खेती? किसान खुद बुला रहे कयामत, यही चलता रहा तो निकल जाएंगे हाथ से हालात


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Modern techniques of farming : किसान लगातार एक बड़ी गलती दोहरा रहे हैं, जो आने वाले समय में सभी के लिए भारी पड़ सकती है. आज किसान दिन-रात मेहनत कर रहा है, लेकिन बदले में उसे ज्यादा मिल नहीं रहा. जानते हैं क्यों…और पढ़ें

कन्नौज. यूपी के किसान लगातार एक बड़ी गलती दोहरा रहे हैं, जो आने वाले समय में उनके लिए भारी पड़ सकती है. ऐसा ही रहा तो खेती खत्म हो सकती है. कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि किसान फसलों में अंधाधुंध पेस्टिसाइड और यूरिया का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे जमीन की उपजाऊ शक्ति कमजोर होती जा रही है. कन्नौज के कृषि अधिकारी संतलाल गुप्ता बताते हैं कि आज किसान दिन-रात मेहनत कर रहा है, लेकिन उसके बदले में उसे उम्मीद के अनुसार न तो पैदावार मिल रही है और न ही सही मुनाफा. इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि किसान लगातार रासायनिक खादों और कीटनाशकों का अंधाधुंध उपयोग कर रहे हैं.

न करें ये गलती

कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक, पेस्टिसाइड का ज्यादा उपयोग न सिर्फ कीटों के खिलाफ असर कम कर रहा है, बल्कि यह जहर धीरे-धीरे मिट्टी और स्वास्थ्य दोनों को नुकसान पहुंचा रहा है. आगे चलकर छोटे-मोटे कीटों पर भी इन दवाओं का असर कम होने लगेगा, जिससे किसान को बार-बार मात्रा बढ़ानी पड़ेगी, जो न केवल महंगा है बल्कि सेहत के लिए भी खतरनाक है. यूरिया का ज्यादा प्रयोग भी चिंता का विषय है, इससे मिट्टी की उर्वरक क्षमता घट रही है, और लगातार रासायनिक तत्वों के संपर्क में आने से खेत की जमीन बेजान हो सकती है.

बचा सकता है ये तरीका

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि अब समय आ गया है कि किसान रासायनिक खेती से हटकर जैविक खेती की ओर बढ़ें. जैविक खेती न केवल मिट्टी को स्वस्थ रखती है, बल्कि इससे पैदा हुई फसलें भी सेहतमंद होती हैं और बाज़ार में अच्छा दाम भी दिलाती हैं. पेस्टिसाइड्स में कुछ ऐसे रसायन पाए जाते हैं जो मानव शरीर में जाकर कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों को जन्म दे सकते हैं. ऐसे में यह जरूरी हो गया है कि किसान इस खतरे को समझें और अपने खेतों को बचाने के साथ-साथ आने वाली पीढ़ियों की सेहत का भी ध्यान रखें. कृषि विभाग की ओर से किसानों से अपील की गई है कि वे धीरे-धीरे पेस्टिसाइड और यूरिया का प्रयोग कम करें और जैविक विकल्प अपनाएं. यही एकमात्र रास्ता है जो किसान को बेहतर फसल, सुरक्षित स्वास्थ्य और ज़्यादा मुनाफा दे सकता है.

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