गोरखपुर-छपरा-लखनऊ के बीच 160 KM की स्पीड से चलेंगी ट्रेनें, रेलवे ने शुरू की तैयारी, जानें सबकुछ

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गोरखपुर-छपरा-लखनऊ के बीच 160 KM की स्पीड से चलेंगी ट्रेनें, रेलवे ने शुरू की तैयारी, जानें सबकुछ


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Gorakhpur News : पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य रेलमार्ग लखनऊ-अयोध्या-बाराबंकी-गोरखपुर-छपरा रूट पर भी आने वाले समय में 160 किलोमीटर की स्पीड से ट्रेनें चलेंगी. रेलवे प्रशासन ने इसके लिए बड़ी योजना बनाई है. गोरखपुर-बाराबंकी-छपरा रूट पर 316 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे.

पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य रेलमार्ग बाराबंकी से छपरा तक जल्द ही चलेंगी हाईस्पीड ट्रेनें…

गोरखपुर. पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य रेलमार्ग बाराबंकी से छपरा तक हाईस्पीड ट्रेनें चलेंगी. रेलवे प्रशासन ने युद्धस्तर पर तैयारी शुरू कर दी है. इसके लिए गोरखपुर के रास्ते बाराबंकी से छपरा तक लगभग 425 किलोमीटर रेल रूट पर 316 करोड़ रुपये खर्च करके विद्युत क्षमता बढ़ाई जाएगी. रेलमार्ग पर लगे ओएचई (ओवरहेड इक्यूपमेंट) में बह रही बिजली की क्षमता बढ़ाई जाएगी ताकि सेमी हाईस्पीड वंदे भारत सहित अन्य ट्रेनें चलाई जा सकें. गोरखपुर कैंट से बाराबंकी तक 176 करोड़ की लागत से तथा गोरखपुर कैंट से छपरा तक 140 करोड़ रुपये की लागत से ओएचई में विद्युत क्षमता दोगुनी की जाएगी. रेलवे प्रशासन ने बिजली के तारों में बिजली की क्षमता बढ़ाने के लिए टेंडर फाइनल कर एजेंसी का चयन कर लिया है. दो साल में विद्युत क्षमता बढ़ाने का कार्य पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित है. जल्द ही काम शुरू हो जाएगा. फिलहाल इस रूट पर ट्रेनों की गति 110 किमी प्रति घंटे से अधिक नहीं हो पा रही. न ही मांग के अनुसार नियमित ट्रेनें चल पा रही हैं.

आने वाले दिनों में पूर्वोत्तर रेलवे के रूटों पर 130 से 160 किमी प्रति घंटे वाली वंदे भारत सहित गतिमान ट्रेनें ही चलाई जाएंगी. गोरखपुर-अयोध्या-लखनऊ-प्रयागराज के बीच चल रही वंदे भारत अधिकतम 110 किमी प्रति घंटे की गति से ही चल रही है जबकि पूर्वोत्तर रेलवे में गोरखपुर से दिल्ली और आगरा के बीच स्लीपर वंदे भारत के अलावा वाराणसी के रास्ते प्रयागराज सहित कुल सात वंदे भारत ट्रेन चलाने की योजना है.

पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य रूट पर बिजली क्षमता बढ़ने के साथ ट्रैक की क्षमता भी बढ़ जाएगी. ट्रेनें 130 से 160 किमी प्रति घंटे की गति से चल सकेंगी. पूर्वोत्तर रेलवे की लाइनों पर अधिकतम 110 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से ही ट्रेनें चल रही हैं.

पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज सिंह ने बताया, ‘रेलवे प्रशासन ट्रैक क्षमता बढ़ाने के साथ ट्रेनों की गति बढ़ाने पर भी तेजी से कार्य कर रहा है. 52 की जगह 60 किग्रा वजन की मजबूत रेल लाइनें बिछाई जा रही हैं. 350 किलोग्राम के चौड़े और मजबूत स्लीपर लगाए जा रहे हैं. ट्रेनों की गति बढ़ाने के लिए रेल लाइनों पर ‘थिक वेब स्विच’ के अलावा आटोमोटिक ब्लाक सिग्नल सिस्टम लगाए लगाए जा रहे हैं. सिग्नल सिस्टम के लग जाने से ट्रेनें एक रेलखंड के एक सेक्शन में एक के पीछे एक चल सकेंगी. स्टेशन यार्डों पर इलेक्ट्रोनिक इंटरलाकिंग सिग्नल सिस्टम लगाया जा रहा है. दुर्घटनाओं पर पूरी तरह अंकुश लगाने के लिए रेल लाइनों के किनारे बाड़ भी लगाए जा रहे हैं.’

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