चित्रकूट में बनने वाले इस चीज की है तगड़ी डिमांड, महाकुंभ के समय हुई खूब बिक्री

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चित्रकूट में बनने वाले इस चीज की है तगड़ी डिमांड, महाकुंभ के समय हुई खूब बिक्री


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Chitrakoot news in hindi today: प्रयागराज में लगे महाकुंभ मेले की शुरुआत के साथ ही उत्तर प्रदेश के कई तीर्थ स्थलों पर लोगों की भारी भीड़ देखने को मिली. इस दौरान देशभर की तमाम सड़कें, हाइवे और एक्सप्रेसवे पर जाम…और पढ़ें

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चित्रकूट: प्रयागराज महाकुंभ का असर उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में भी देखने को मिला. महाकुंभ से लौटकर भारी संख्या में लोग चित्रकूट पहुंचे. बड़े पैमाने पर जिले में लोगों के आने से यहां के पर्यटन को काफी बढ़ावा मिला. इस दौरान यह दुकान, मकान और होटल वालों को पैसे कमाने का भी अवसर मिला. मेले के दौरान चित्रकूट के स्थानीय चंदन की डिमांड भी काफी ज्यादा रही. चित्रकूट का यह चंदन आमतौर पर पहचाने जाने वाले चंदन से बिल्कुल अलग होता है. आमतौर पर चंदन एक पेड़ है. पेड़ के सूखने पर उसकी लकड़ी को ही चंदन कहते हैं. चित्रकूट में मिलने वाला चंदन लकड़ी से नहीं बल्कि यहां की विशेष मिट्टी से तैयार किया जाता है. लोकल लेवल पर तैयार यह चंदन भक्तों को काफी पसंद आता है.

चित्रकूट का स्थानिक चंदन
चित्रकूट में मंदाकिनी नदी के रामघाट पर चंदन विक्रेता पंडित विनय मिश्रा ने लोकल 18 को जानकारी देते हुए बताया कि भगवान श्रीराम के कारण यहां स्थानीय चंदन की मांग सबसे अधिक रहती है. ऐसा माना जाता है कि इसी स्थान पर गोस्वामी तुलसीदास जी ने भगवान श्रीराम को चंदन का तिलक लगाया था. यही कारण है कि श्रद्धालु इस पवित्र चंदन को प्रसाद रूप में अपने साथ ले जाना चाहते हैं.

95% लोग चंदन की करते है मांग
इतिहास और धार्मिक मान्यता के अनुसार, वनवास काल के दौरान भगवान श्रीराम ने स्फटिक शिला पर माता सीता का श्रृंगार इसी चंदन से किया था. यही नहीं चित्रकूट की पर्वत मालाओं में दो ऐसे विशेष पहाड़ हैं जिनका रंग पीला और सफेद है. इन्हीं पहाड़ों की रज (धूल) से चंदन निर्मित किया जाता है. इसी तरह कामदगिरि पर्वत में भी दो पहाड़ स्थित हैं जिनका रंग सफेद और पीला है. इन स्थानों से प्राप्त मिट्टी से ही स्थानीय चंदन बनाया जाता है. चित्रकूट घूमने आने वालों की भीड़ बढ़ने से इस चंदन की मांग भी बढ़ी है.

चंदन व्यवसाय को मिला बढ़ावा
चित्रकूट के रामघाट पर लगभग 200 से अधिक पारंपरिक दुकानों पर पूजा-पाठ की सामग्री सहित चंदन की बिक्री की जाती है. स्थानीय दुकानदार राजा गुप्ता बताते हैं कि महाकुंभ के कारण श्रद्धालुओं की संख्या में भारी वृद्धि हुई थी. गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और यहां तक कि विदेशों से भी लोग चित्रकूट पहुंच रहे थे. लगभग हर श्रद्धालु दुकान पर आकर यहां के चंदन की मांग करता था. इससे इसकी बिक्री कई गुना बढ़ गई. पिछले कुछ हफ्तों में चित्रकूट में चंदन की बिक्री 70-80% तक बढ़ चुकी है. दुकानदारों के अनुसार, पहले जहां रोजाना 20-30 ग्राहक चंदन खरीदते थे अब यह संख्या 200-300 तक पहुंच चुकी है.

तुलसी गुफा और तोतामुखी हनुमान मंदिर के महंत मोहित दास बताते हैं कि चित्रकूट का यह चंदन रामचरितमानस में वर्णित धार्मिक घटनाओं से जुड़ा है. उन्होंने गोस्वामी तुलसीदास की प्रसिद्ध चौपाई का उल्लेख करते हुए कहा “चित्रकूट के घाट में, भई संतन की भीड़, तुलसीदास चंदन घिसें, तिलक देत रघुवीर.” महंत मोहित दास के अनुसार भगवान श्रीराम ने अपने वनवास के दौरान चित्रकूट की पहाड़ियों और जंगलों में विचरण किया था. श्रद्धालु यह मानते हैं कि भगवान श्रीराम के चरणों की धूल ही अब चंदन का रूप धारण कर चुकी है इसलिए वे इसे अपने माथे पर लगाकर पुण्य और आशीर्वाद प्राप्त करने की कामना रखते हैं.

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चित्रकूट में बनने वाले इस चीज की भारी डिमांड, महाकुंभ के समय हुई खूब बिक्री



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