…ताकि न सोए कोई भूखा, कोरोना काल से लेकर आज तक, हर रात गरीबों को मुफ्त भोजन कराती है ये संस्था

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Ballia: बलिया की ये संस्था कोरोना काल में शुरू हुई थी, इनका उद्देश्य था कि कोई भी भूखा न सोए. तब से लेकर आज तक, रोज ये लोग 150 से 200 लोगों को मुफ्त में भरपेट भोजन करवाने का पुण्य काम कर रहे हैं.
गरीबों को खाना खिलाना
हाइलाइट्स
- बलिया में गरीबों को मुफ्त भोजन कराती है संस्था.
- कोरोना काल से रोज 150-200 लोगों को भोजन.
- संस्था का नाम “संकल्प – कोई भूखा न सोए”.
बलिया: किसी ने क्या खूब कहा है कि, ‘जो लोग दर्द को समझते हैं, वो लोग कभी भी दर्द की वजह नहीं बनते’… शाम का समय था और जगह बलिया रेलवे स्टेशन. इस वक्त लोकल 18 की टीम किसी स्टोरी की तलाश कर रही थी, तभी एक दिल को छू लेने वाला सुंदर नज़ारा देखने को मिला. यहां तमाम लोगों की भीड़ लगी हुई थी. करीब जाने के बाद पता चला कि ऐसी तस्वीर यहां हर शाम देखने को मिलती है. ज़मीन पर बैठकर बच्चे, बुज़ुर्ग और जवान यानी सभी लोग बड़े चाव से खाना खा रहे थे, मानो उन्हें दुनिया की सबसे कीमती चीज मिल गई हो. ये सभी गरीब, असहाय, रोगी और सड़क पर सोने वाले लोग थे.
राधा माधव गोशाला संस्थान के सदस्य और शिक्षक नरेंद्र नारायण राय ने बताया कि कोरोना काल में इन लोगों ने मिलकर लाचार, असहाय और भिक्षुक जैसे गरीबों की सेवा के लिए एक संस्था शुरू की, जिसका नाम “संकल्प – कोई भूखा न सोए” रखा गया. शाम के समय में बालेश्वर मंदिर और रेलवे स्टेशन पर लगभग 150 से 200 लोग रोज भोजन करते हैं.
आज तक नहीं रुका गरीबों को खाना खिलाने का काम
बताया गया कि कोरोना काल से आज तक यह काम कभी रुका नहीं. फिलहाल इस सेवा से जिले के तमाम संपन्न परिवार जुड़ चुके हैं. इस काम के लिए आज तक कभी किसी से पैसा नहीं मांगा गया. ये लोग आपस में मिलकर ही सब खर्चा करते हैं. उनका कहना है कि ऐसा करने से मन को बहुत शांति और सुकून मिलता है. शिक्षक नरेंद्र नारायण राय हर रविवार को खुद खाना खिलाने आते हैं.
भोजन कर रहे गरीब और असहाय लोगों ने क्या कहा
भोजन कर रही महिला चनरी देवी ने बताया कि, “वह कई सालों से यहां भोजन करने आती हैं”. वह बहुत गरीब है. महिला ने इस संस्था से जुड़े तमाम लोगों की तारीफ की. कहा कि इनको भगवान सब कुछ दे. जैसे ये लोग उन सभी असहायों के आंसू पोछने का काम कर रहे हैं, वैसे ही उनका जीवन भी सुखों से भर जाए. इस दौरान असहाय और गरीब लोगों के चेहरे पर मुस्कान थी. ये सभी लोग शाम को इस संस्था का बेसब्री से इंतजार करते हैं ताकि उन्हें भरपेट भोजन मिल सके.