धरोहर: आज भी रोहिल्ला किला में चल रही सहारनपुर की जेल, नजीबुददौला ने कराया था इसका निर्माण

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धरोहर: आज भी रोहिल्ला किला में चल रही सहारनपुर की जेल, नजीबुददौला ने कराया था इसका निर्माण


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UP News: सहारनपुर का रोहिला किला आज भी जिला जेल के रूप में उपयोग हो रहा है, जिसे नजीबुददौला ने 1748 में बनवाया था.

हाइलाइट्स

  • सहारनपुर का रोहिल्ला किला अब जिला जेल है.
  • नजीबुददौला ने सहारनपुर में 5 किलों का निर्माण कराया.
  • पुरातत्व विभाग ने किले में निर्माण पर पाबंदी लगाई.

सहारनपुर: उत्तर प्रदेश का सहारनपुर जनपद आज भी ऐतिहासिक धरोहर और अपने पुराने इतिहास को संजोए हुए है. सहारनपुर में समय-समय पर विभिन्न राजाओं का राज्य रहा, जिन्होंने सहारनपुर का विकास भी कराया. सहारनपुर में आज भी कुछ ऐसी इमारतें मौजूद है जोकि इस बात की साक्षी बनती है कि यहां पर रोहिल्लाओं का भी राज्य रहा है.

सन् 1748 में एक सिपाही नजीबुददौला को उनकी हिम्मत, हौंसले, जज्बा, बहादुरी, वीरता, ईमानदारी के बलबूते पर सहारनपुर की कमान सौंपी गई थी. नजीबुददौला एक रोहिल्ला सरदार थे, जिन्होंने सहारनपुर में 5 किलों का निर्माण कराया. सबसे पहला किला नजीबाबाद में बनवाय. दूसरा किला पत्थरगढ़, तीसरा किला शुक्रताल, चौथा किला गौसगढ़ और पांचवा किला सहारनपुर जिले में बनवाया था. पांचवा किला आज जिला कारागार के रूप में मौजूद है.

सहारनपुर जिला जेल में आसपास जिलों के कैदी सहित हार्डकोर कैदी बंद है. पहले यह रोहिल्लाओ का किला हुआ करता था, जिसको सरकार ने जिला कारागार बना दिया था. फिलहाल यह ऐतिहासिक किला पुरातत्व विभाग के संरक्षण में है. पुरातत्व विभाग जिला कारागार के अधिकारियों को कई बार खाली करने के लिए नोटिस दे चुका है, लेकिन अभी तक इस किले पर जेल अधिकारियों का ही कब्जा है. इस रोहिल्ला किला को सहारनपुर की धरोहर के रूप में भी देखा जाता है.

साहित्यकार डॉक्टर वीरेंद्र आज़म ने लोकल 18 से बात करते हुए बताया कि सहारनपुर एक ऐतिहासिक और पौराणिक शहर है. सहारनपुर में वैदिक काल से लेकर अब तक का इतिहास मिलता है. सिंधु घाटी सभ्यता के अवशेष भी इस जनपद में मिले हैं. समय-समय पर बहुत सारे यहां राजाओं का शासन रहा है. 1748 से 1770 तक नजीबुददौला जो पहले एक मामूली पैदल सिपाही था, जो बहादुर, वीर, हिम्मतवाला था. वह अपनी वीरता और त्याग से अपने समर्पण और अपनी वफादारी से उससे सहारनपुर की जिम्मेदारी सौंपी गई.

नजीबुददौला 1754 में आए क्योंकि सहारनपुर गंगा जमुना का दोआब कहलाता है. गंगा के उस पार नजीबुददौला ने अपना किला बनाया. नजीबुददौला के नाम पर ही उसे स्थान का नाम नजीबाबाद पड़ा. नजीबाबाद से 2 किलोमीटर दूर पत्थर गढ़ में भी आक्रमण से बचने के लिए नजीबुददौला ने एक ओर किला बनवाया. इसके साथ ही नजीबाबाद को अपनी राजधानी बनाया. राजधानी नजीबाबाद थी, लेकिन मुख्यालय सहारनपुर और हलालपुर के बीच स्थित नजीबपुर गांव को बनाया था. नजीबुददौला रोहिल्ला सरदार था तो रोहिल्लाओं का शासन सहारनपुर में काफी समय तक रहा सहारनपुर से दिल्ली तक नजीबुददौला ने अपना अधिकार कर लिया था. नजीबुददौला ने सहारनपुर के दक्षिण पश्चिम में 2 किलो का निर्माण और कराया.

एक तरफ शुक्रताल, दूसरी तरफ गौसगढ़ बनवाया. गौसगढ़ में बना किला रणनीति की और से महत्वपूर्ण था. सारी रणनीति गौसगढ़ के किले में ही तैयार की जाती थी. नजीबुददौला ने 1770 तक राज्य किया और उसके बाद उसकी मृत्यु हो गई. उसके बाद उसका पुत्र था जबिता खान. जबिता खान ने सहारनपुर को राजधानी बनाया. जबिता खान के बाद उसका लड़का गुलाम कादिर जिसने 1785 से 1789 तक यहां शासन किया. लेकिन गुलाम कादिर भी अपने दादा नजीबुददौला की सल्तनत को एकत्रित नहीं कर पाया. उसी में से सहारनपुर जिला कारागार किला भी उस समय के दौरान नजीबुददौला ने ही बनवाया था. इसके कुछ साल पहले यहां पर साक्षय मिले और उसके बाद पुरातत्व विभाग ने इसमें निर्माण पर पाबंदी लगा दी.

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आज भी रोहिल्ला किला में चल रही सहारनपुर की जेल, नजीबुददौला ने कराया था निर्माण



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