धान की फसल में लगने वाले इस रोग से सावधान रहें किसान, वरना हो सकता नुकसान

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खैरा रोग की शुरुआत धान की पत्तियों में हल्के पीले धब्बों से होती है. धीरे-धीरे ये धब्बे भूरे या नारंगी रंग में बदलने लगते हैं. प्रभावित पौधे कमजोर होकर विकास करना बंद कर देते हैं, यदि समय रहते इलाज न किया जाए त…और पढ़ें
समस्या की पहचान
खैरा रोग की शुरुआत धान की पत्तियों में हल्के पीले धब्बों से होती है. धीरे-धीरे ये धब्बे भूरे या नारंगी रंग में बदलने लगते हैं. प्रभावित पौधे कमजोर होकर विकास करना बंद कर देते हैं, यदि समय रहते इलाज न किया जाए तो पौधे पूरी तरह सूख सकते हैं.
यह रोग जिंक की कमी के कारण होता है, साथ ही खेत में अत्यधिक पानी भराव और खराब जल निकासी से भी इस रोग की संभावना बढ़ जाती है.
समाधान और बचाव के उपाय
इस रोग से बचाव के लिए जिंक सल्फेट का छिड़काव करें 5 किलो जिंक सल्फेट + 2.5 किलो चूना को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ पर छिड़काव करें, छिड़काव सुबह या शाम के समय करें, खेत की तैयारी के समय प्रति एकड़ 10 किलो जिंक सल्फेट मिलाएं, खेत में पानी का अत्यधिक भराव न होने दें. जल निकासी की उचित व्यवस्था करें, किसान अपने खेत की मिट्टी की जांच कराकर आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ति करें.
क्या बोले कृषि वैज्ञानिक
कृषि वैज्ञानिक डॉ सुशील कुमार बताते है कि यदि किसान अपने खेत में खैरा रोग के लक्षण देखें तो तुरंत अपने नजदीकी कृषि केंद्र या कृषि वैज्ञानिक से संपर्क करें. समय पर की गई कार्रवाई से आप अपनी फसल को बचा सकते हैं. अच्छी पैदावार ले सकते है. किसान भाइयों, याद रखें सावधानी और जानकारी ही खेती में सफलता की कुंजी है. खैरा रोग छोटा दिखता है, लेकिन नुकसान बड़ा कर सकता है, अतः जागरूक रहें, सतर्क रहें और समय पर समाधान अपनाएं.