धुंध-धूल से निजात…गाजियाबाद की इस सोसायटी में हुई कृत्रिम बारिश, लोगों को प्रदूषण से मिली बड़ी राहत
Ghaziabad Air Pollution: दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण फिर से खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है. सुबह से शाम तक हवा में धूल और धुंध जमी रहती है, जिससे लोगों का बाहर निकलना तक मुश्किल हो गया है. ऐसे माहौल में गाजियाबाद के राजनगर एक्सटेंशन स्थित ब्रेव हार्ट्स सोसाइटी ने अपने स्तर पर एक ऐसा कदम उठाया है, जिसे निवासियों ने राहत देने वाला और असरदार बताया है.
कई दिनों से इलाके में धूल इतनी बढ़ गई थी कि बालकनियों, गाड़ियों और पार्कों में मोटी परत जमने लगी थी. छोटे बच्चों को बाहर खेलने से रोकना पड़ रहा था और बुजुर्गों की सुबह-शाम की सैर भी बंद हो गई थी. लगातार बढ़ती परेशानी को देखते हुए सोसाइटी की AOA ने मीटिंग की और निर्णय लिया कि हवा को साफ करने की कोशिश खुद की जानी चाहिए.
इसके बाद सोसाइटी ने टावरों की ऊपरी मंजिलों से पानी का छिड़काव शुरू किया. इसके लिए फायर सिस्टम और पाइपलाइन को सक्रिय किया गया, ताकि पानी ऊंचाई से पूरे परिसर में फैल सके. पानी की बचत को ध्यान में रखते हुए STP से साफ किया गया पानी ही उपयोग में लिया गया. दोपहर के समय पांचों टावरों से एक साथ फुहार छोड़ी गई, जिससे हवा में तैर रहे धूलकण कुछ ही मिनटों में नीचे बैठने लगे.
निवासियों के अनुसार, इस कदम का असर तुरंत दिखा. सोसाइटी के अंदर का माहौल पहले से ज्यादा साफ महसूस हुआ. पार्कों की जमीन और पेड़ों की पत्तियां, जो धूल से ढकी रहती थीं, अब साफ नजर आने लगीं. कई लोगों ने बताया कि लंबे समय बाद बच्चों को खुली हवा में खेलने दिया गया और बुजुर्गों ने भी दोबारा टहलना शुरू किया.
सोसाइटी के अध्यक्ष लविश त्यागी ने बताया कि यह पहल पूरी तरह निवासियों की जरूरत को देखते हुए शुरू की गई है. उन्होंने कहा कि यह कोई सरकारी योजना नहीं, बल्कि सोसाइटी द्वारा लिया गया सामूहिक फैसला है. फिलहाल हर दोपहर पानी का स्प्रे दोहराया जाएगा, ताकि प्रदूषण के बीच लोगों को थोड़ी राहत मिलती रहे. साथ ही, पेड़ों, पार्कों और खुले क्षेत्रों की नियमित सफाई भी कराई जा रही है.
महिला निवासियों का कहना है कि पानी के छिड़काव के बाद बच्चों की आंखों में जलन और बार-बार होने वाली खांसी में कमी देखी गई है. उनका मानना है कि यदि आसपास की अन्य सोसायटियां भी ऐसे कदम अपनाएं, तो पूरे क्षेत्र की हवा थोड़ी बेहतर हो सकती है.
स्थानीय लोग इस पहल को एक सकारात्मक संदेश भी मान रहे हैं. उनका कहना है कि बड़ी समस्याओं का हल सिर्फ सरकार से उम्मीद करके नहीं निकलता, बल्कि समाज खुद आगे आकर छोटे-छोटे कदम उठाए तो भी लोगों को बड़ी राहत मिल सकती है. ब्रेव हार्ट्स सोसाइटी का यह प्रयोग इसी सोच का एक सफल उदाहरण बनता दिख रहा है.