नौकरी के नाम पर रूस जाने वालों के साथ ऐसा धोखा, जिंदा लौटे आजमगढ़ के इस व्यक्ति की आपबीती सुन कांप जाएगी रूह

Agency:News18 Uttar Pradesh
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Azamgarh News: रूस-यूक्रेन युद्ध में सिर्फ उन दोनों देशो के ही लोग नहीं बल्कि भारत के भी लोग फंसे हुए हैं और मारे भी जा रहे हैं. दरअसल, भारत में लोगों को विदेश में नौकरी दिलाने के नाम पर…
रूस से युद्ध में शामिल राकेश यादव
आजमगढ़: विदेशों में नौकरी करना कई लोगों का सपना होता है. कुछ लोगों को नौकरी मिल भी जाती है लेकिन नौकरी के नाम पर कई लोगों के साथ फ्रॉड भी हो जाता है. उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले से भी कई लोग गार्ड की नौकरी करने के लिए रूस गए. वहां पहुंचने के बाद उन्हें यूक्रेन के साथ युद्ध में लड़ाई लड़ने के लिए भेज दिया गया. 9 महीने तक यूक्रेन और अपने जीवन से युद्ध लड़ने के बाद वहां से अपने वतन और अपने परिवार के पास वापस लौटे राकेश यादव ने लोकल 18 से अपनी आपबीती सुनाई.
आजमगढ़ के ऊंची गोदाम के भीमसेन गांव के निवासी राकेश ने बताया कि वह मऊ के किसी विनोद नमक एजेंट के जरिए रूस कमाने के लिए गए थे. उन्होंने बताया कि जनवरी 2024 में उनकी मुलाकात एजेंट विनोद से हुई थी. एजेंट ने बताया कि रूस में गार्ड की नौकरी के लिए 2 लाख वेतन दिया जाएगा. एजेंट की बातों पर विश्वास करते हुए राकेश ने उसके कहने पर बैंक से लाने लेकर 1 लाख 17 हजार रूपए एजेंट को दिया था. इसके बाद जनवरी में सात लोगों के साथ बनारस से रूस जाने के लिए दिल्ली पहुंच गए. वहां उनकी मुलाकात एजेंट सुमित से हुई. इसके बाद उन्हें रूस के लिए फ्लाइट में बिठाकर रवाना कर दिया गया. उन्होंने बताया कि सेंट पीटर्सबर्ग एयरपोर्ट पर पहुंचने के बाद उन्हें वहीं पर ही रोक लिया गया और उनका मोबाइल उनसे ले लिया गया. एयरपोर्ट पर उनकी मुलाकात वहां के लोकल एजेंट दुष्यंत से हुई. इसके बाद उनसे रूसी भाषा में लिखे किसी पेपर पर सिग्नेचर कराया गया.
15 दिनों तक कराई गई बंदूक चलाने की ट्रेनिंग
राकेश बताते हैं कि वहां पहुंचने के कुछ दिन तक उन लोगों को कारपेंटर, रसोईया, सिक्योरिटी गार्ड और ड्राइवर का काम कराया गया. इसके कुछ दिनों बाद ही सभी लोगों को वहां से हटकर आर्मी की किसी बिल्डिंग में ले जाया गया जहां पर उन्हें कुछ दिन तक रखने के बाद सैन्य ट्रेनिंग के लिए ले गए. उन्होंने बताया कि 15 दिनों तक उन सभी लोगों की सैन्य ट्रेनिंग कराई गई. इन 15 दिनों में उन्हें तरह-तरह के बंदूक, मिसाइल और ग्रेनाइट चलना सिखाया गया. ट्रेनिंग खत्म होने के बाद सभी लोगों को बंकर बनाने और मिलिट्री गाड़ियों में समान ढुलाई के काम में लगा दिया गया.
युद्ध में हुए घायल
राकेश ने बताया कि हर तरीके से परखने के बाद रूसी सेना के लोगों के साथ हमें भी युद्ध में भेज दिया गया. हर बटालियन में 10 रूसी सैनिकों के साथ दो भारतीय सैनिकों को रखा गया था. उन्होंने बताया कि रात के अंधेरे में उन्हें अन्य सैनिकों के साथ मैदान में युद्ध के लिए भेज दिया जाता था. वहां दिन-रात युद्ध का मंजर देखने के बाद रूह कांप जाया करती थी. बम और ड्रोन के धमाकों से कई सैनिक घायल होते तो कई सैनिकों ने अपनी जान भी गंवा दी. युद्ध के दौरान राकेश भी बुरी तरह से घायल हुए थे इसके बाद उन्हें इलाज के लिए अस्पताल में कुछ दिनों तक भर्ती भी कराया गया था.
9 महीने बाद अपने वतन लौटे राकेश
9 महीने तक तमाम तकलीफें सहने और किसी तरह से अपनी जान बचा पाने में सफल हुए राकेश फिलहाल अपने वतन लौट आए हैं. अपनी आपबीती कहते हुए उन्होंने बताया कि भारत वापस लौटने में उनकी मदद दो पंजाबी व्यक्तियों ने की. उन्होंने कहा, “अस्पताल से छूटने के बाद मैं वहां पर स्थित भारत की एंबेसी में गया जहां पर मैंने अपनी सारी बात बताई. इस दौरान देश के प्रधानमंत्री का दौरा भी हुआ था जहां पर उन्होंने सभी भारतीय सैनिकों को वापस बुलाने की बात कही थी. इसी के बाद मेरा अपने वतन वापस आना संभव हो पाया.”
पैसों की भी हुई धोखा धड़ी
राकेश ने बताया कि रूस पहुंचने के बाद जब उनका बैंक अकाउंट खोला गया था तो उनके खाते में वहां की सरकार की तरफ से ₹7 लाख रुपया भेजा गया. खाते का एटीएम कार्ड एजेंट ने ले लिया था इस वजह से सारे पैसे उन्होंने निकाल लिए और उनके घर केवल 40 हजार रुपए ही पहुंचा. इसके अलावा आर्मी में काम कर रहे लोगों को घायल होने पर सरकार की तरफ से ₹30 लाख रुपए भी दिया जाता था जो कि उनके खाते में भी आया था लेकिन वह पैसा भी तीन–तीन लाख रुपये करके एजेंट ने निकाल लिया.
अभी भी फंसे हैं कई लोग
राकेश ने बताया कि उनके साथ जितने अन्य लोग गए थे उनमें से केवल वही सही सलामत बचकर वापस आने में कामयाब हुए हैं. जबकि उनके साथ के ही एक व्यक्ति कन्हैया यादव की रूस में ही जंग के दौरान मौत हो गई. बाकी लोग अभी भी रूस और यूक्रेन की जंग में फंसे हुए हैं.
Azamgarh,Uttar Pradesh
January 21, 2025, 21:55 IST