बनारस के बाद अब UP के इस शहर में भी मोहल्लों के नाम बदलने की मांग, इतिहासकार ने की योगी सरकार से अपील

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बनारस के बाद अब UP के इस शहर में भी मोहल्लों के नाम बदलने की मांग, इतिहासकार ने की योगी सरकार से अपील


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बलिया में ऐतिहासिक मोहल्लों के नाम बदलने की चर्चा तेज हो गई है. इतिहासकारों का मानना है कि इससे क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत मजबूत होगी. जनता और विद्वानों ने इस पहल की सराहना की है.

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प्रख्यात इतिहासकार की राय…

हाइलाइट्स

  • बलिया में मोहल्लों के नाम बदलने की पहल तेज हुई.
  • नाम बदलने से सांस्कृतिक विरासत मजबूत होगी.
  • जनता और विद्वानों ने इस पहल की सराहना की.

बलिया: जिस तरह उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरी काशी में 50 मोहल्लों के नाम बदलने की तैयारी जोरों पर है, ठीक उसी तरह बलिया में भी इस पहल को लेकर चर्चा तेज हो गई है. बलिया, जिसे विमुक्त तीर्थ या भृगु क्षेत्र के नाम से जाना जाता है, ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व रखता है. इतिहासकारों का मानना है कि कुछ मोहल्लों के नाम बदलने से क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत और पहचान को मजबूती मिलेगी.

उत्तर प्रदेश के चर्चित इतिहासकार डॉ. शिवकुमार सिंह कौशिकेय का कहना है, ‘जब हम विरासत से विकास की बात करते हैं, तो नाम बदलने जैसी पहल स्वाभाविक होती है. कालखंड के साथ बहुत सी चीजें बदली हैं, कई ऐतिहासिक और पौराणिक नाम भी बदल दिए गए, जिन्हें अब फिर से स्थापित करने की जरूरत है.’

कौन-कौन से मोहल्लों के नाम बदलने की मांग?
इतिहासकारों का कहना है कि बलिया में भी कुछ मोहल्लों के नाम बदले जाने चाहिए, ताकि उनकी ऐतिहासिक पहचान बरकरार रहे…

कासिम बाजार: इस क्षेत्र की महारानी सर्वणमई थीं, इसलिए इसका नाम उनके सम्मान में बदला जाना चाहिए.
विशुनीपुर: असल में यहां विष्णु धर्मशाला थी, जिसे अब विशुनीपुर कहा जाता है, जबकि इसका मूल नाम विष्णुपुर होना चाहिए.
जापलीनगंज: यह नाम अंग्रेज अफसरों ने दिया था. इसे स्वतंत्रता सेनानी उमाशंकर मिश्रा या जानकी देवी (जिन्होंने ब्रिटिश राज के खिलाफ झंडा फहराया) के नाम पर रखा जाना चाहिए.
ओकडेनगंज: अंग्रेजों द्वारा दिया गया यह नाम स्वतंत्रता सेनानी पं. महानंद मिश्रा के नाम पर बदला जाना चाहिए.
बाबा बालेश्वर नगर: जापलीनगंज बाबा बालेश्वर नाथ मंदिर के अंतर्गत आता है, इसलिए इसे बाबा बालेश्वर नगर नाम दिया जाना उचित होगा.

सरकार की पहल को मिली सराहना
इतिहासकारों का दावा है कि बलिया में पहले भी कई मोहल्लों के नाम बदले जा चुके हैं, लेकिन अभी भी कई ऐतिहासिक स्थानों पर सरकार को ध्यान देने की जरूरत है. नाम बदलने से इन क्षेत्रों की पहचान और सांस्कृतिक महत्व और अधिक मजबूत होगा. फिलहाल, सरकार की इस पहल को लेकर जनता और विद्वानों में सकारात्मक प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है.

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