बेहद शक्तिशाली है मां विंध्यवासिनी का ये रूप, माह में सिर्फ एक बार होते हैं ऐसे दर्शन, जानें मान्यता

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Maa Vindhyavasini Dham: मां विंध्यवासिनी को महालक्ष्मी और कौशकी रूप में पूजा जाता है. कौशकी रूप में मां ने दानवों का संहार किया. हर माह की अष्टमी और नवरात्रि में विशेष पूजा होती है.
मां विंध्यवासिनी
हाइलाइट्स
- मां विंध्यवासिनी को महालक्ष्मी और कौशकी रूप में पूजा जाता है.
- माह में एक बार मां के कौशकी रूप के दर्शन होते हैं.
- अष्टमी और नवरात्रि में मां की विशेष पूजा होती है.
मुकेश पांडेय/मिर्जापुर : विंध्यपर्वत पर विराजमान आदिशक्ति मां विंध्यवासिनी को महालक्ष्मी का रूप माना जाता है. भक्तों को मां इसी रूप में दर्शन देती है. मां के दर्शन के लिए देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी भक्त पहुंचते हैं. मां विंध्यवासिनी की महालक्ष्मी के साथ ही कौशकी रूप की विशेष महत्ता है. माह में सिर्फ एक बार मां के कौशकी रूप के दर्शन होते हैं. मां विंध्यवासिनी के इस रूप को सबसे शक्तिशाली रूप कहा जाता है. ब्रह्मांड नायिका के इस रूप का महात्म्य भगवान शिव और पार्वती से जुड़ी हुई है.
तप से प्रसन्न हुए शिव
इसी रूप में किया दानवों का संहार
उन्होंने बताया कि मां के कौशकी रूप स्वरूप परिवर्तन तक सीमित नहीं रहा. मां का यह रूप दानवों के संहार के साथ ही देवताओं के रक्षा के लिए हुआ. उन्होंने चण्डमुण्ड, रक्तबीज और शुम्भ-निशुम्भ का वध किया. अंत में महिषासुर का विनाश किया. इसलिए मां को महिषासुर कहा गया. मां के इस रूप की पूजा प्रत्येक माह की अष्टमी तिथि पर होता है. वहीं, नवरात्रि में यह पूजा अतिविशेष हो जाती है. मां विंध्यवासिनी का यह धाम सभी साक्ष्यों को समेटे हुए है.