भारत-पाक युद्ध : 54 साल पहले तिरपाल और पत्तों से ढका गया था ताजमहल!

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Operation Sindoor: भारत ने पाकिस्तान के 9 आतंकवादी ठिकानों पर हमला किया, जिससे युद्ध की आशंका बढ़ गई है. 7 मई को आगरा में ब्लैकआउट और मॉक ड्रिल आयोजित की जाएगी. 1971 के युद्ध में ताजमहल को ढका गया था.
द्वितीय विश्व युद्ध से पहले ढका गया ताजमहल
हाइलाइट्स
- 1971 के बाद पहली बार देशभर में ब्लैकआउट की योजना बनाई गई है.
- ताजमहल को हरे रंग की टाट और पत्तों से ढकने की संभावना.
- 7 मई को आगरा में ब्लैकआउट और सायरन बजाए जाएंगे.
आगरा: पहलगाम हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के 9 आतंकवादी ठिकानों पर हमला बोल दिया है. जिसका नाम ऑपरेशन सिंदूर दिया गया है. ऐसे में हालात इतने गंभीर हैं कि युद्ध छिड़ने की आशंका जताई जा रही है. ऐसे में 1971 के युद्ध के बाद पहली बार पूरे देश में युद्ध की स्थिति को ध्यान में रखते हुए मॉक ड्रिल आयोजित की जा रही है. इसका उद्देश्य यह है कि अगर युद्ध जैसी स्थिति उत्पन्न होती है तो आम नागरिक खुद को कैसे सुरक्षित रखें, इसके लिए उन्हें प्रशिक्षित किया जा सके. इस मॉक ड्रिल के तहत देश के विभिन्न हिस्सों में ब्लैकआउट की योजना बनाई गई है, ताकि दुश्मन देश की वायुसेना को जमीन की स्थिति का कोई अंदाज़ा न लग सके. इस दौरान सायरन बजेंगे और सभी नागरिकों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है.
1971 में ढक दिया गया था ताजमहल
1971 में भारत-पाक युद्ध के दौरान आगरा में भी ऐसा ही ब्लैकआउट हुआ था. ताजमहल जैसे चमकते स्मारक को भी हरे रंग की टाट, तिरपाल और पत्तों से ढक दिया गया था, ताकि वह आकाश से दिखाई न दे और दुश्मन वायुयान उसे निशाना बनाकर खेरिया एयरबेस तक न पहुंच जाए. स्मारक के आसपास टहनियां और झाड़ियां लगाकर उसे जंगल का रूप दे दिया गया था. यह रणनीति उस समय काफी कारगर सिद्ध हुई थी.
आगरा के नजदीक पंहुच गई थी पाक एयरफोर्स
वरिष्ठ इतिहासकार राज किशोर शर्मा बताते हैं कि पाकिस्तानी वायुसेना के लड़ाकू विमान खेरिया रनवे और कीठम क्षेत्र पर बम गिरा चुके थे. इसके बाद ताजमहल को ढकने का आदेश जारी किया गया था, ताकि दुश्मन के रडार पर यह न आए. 4 दिसंबर से लेकर 18 दिसंबर तक ताजमहल पर्यटकों के लिए बंद रहा और उसे ढकने में उस समय करीब 20500 रुपए खर्च हुए थे.
7 मई को आगरा में ब्लैकआउट
आगरा के डीएम अरविंद मल्लप्पा बंगारी ने बताया कि गृह मंत्रालय के आदेशानुसार 7 मई की रात 8:00 बजे ब्लैकआउट किया जाएगा और सायरन भी बजाए जाएंगे. लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है. जब ताजमहल को ढकने की संभावना के बारे में उनसे पूछा गया तो उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की तरफ से जारी SOP (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) में इस संबंध में सभी प्रोटोकॉल दिए गए हैं. स्थिति की गंभीरता को देखते हुए आवश्यक होने पर उचित कदम उठाए जाएंगे. अब देखना यह है कि क्या 54 साल बाद एक बार फिर ताजमहल पर हरी चादरें और टहनियों की ओट डाली जाएगी या आधुनिक तकनीक से कुछ नया उपाय किया जाएगा.