मशरूम की खेती सिखा रहा कानपुर कृषि विश्वविद्यालय, जानें बटन से लेकर मिल्की तक को उगाने की ट्रिक

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मशरूम की खेती सिखा रहा कानपुर कृषि विश्वविद्यालय, जानें बटन से लेकर मिल्की तक को उगाने की ट्रिक


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Mushroom production training kanpur : गांव हो या शहर, दोनों जगह इसकी मांग तेजी से बढ़ रही है. होटल, रेस्टोरेंट और बाजारों में मशरूम की खपत लगातार बढ़ रही है. मशरूम उगाने का प्रशिक्षण पूरा करने के बाद प्रमाण पत्र भी दिया जाता है. इसकी मदद से आगे चलकर सरकारी योजनाओं और बैंक ऋण में भी मदद मिलती है.

कानपुर. कम लागत में अच्छी कमाई का रास्ता दिखाने के लिए कानपुर के चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसएयूएटी) में मशरूम उत्पादन का विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया गया है. यह प्रशिक्षण उन लोगों के लिए फायदेमंद है, जो खेती के साथ कोई नया काम शुरू करना चाहते हैं या घर बैठे स्वरोजगार की तलाश में हैं. खास बात यह है कि इस प्रशिक्षण की फीस सिर्फ 1000 रुपये रखी गई है, ताकि हर वर्ग का व्यक्ति इसका लाभ उठा सके. पादप रोग विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ. मुकेश श्रीवास्तव ने बताया कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में कोई भी व्यक्ति भाग ले सकता है. इसके लिए किसान होना जरूरी नहीं है. छात्र, महिलाएं, युवा, नौकरीपेशा लोग या फिर जो लोग खुद का छोटा व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं, वे सभी यहां आकर मशरूम उत्पादन की पूरी जानकारी ले सकते हैं.

कितने दिन का कोर्स

डॉ. मुकेश श्रीवास्तव के अनुसार, मशरूम उत्पादन आज के समय में रोजगार का एक बेहतर विकल्प बनता जा रहा है. कम जगह, कम पानी और कम पूंजी में ये काम शुरू किया जा सकता है और सही तरीके से करने पर अच्छा मुनाफा भी मिलता है. ये प्रशिक्षण कार्यक्रम करीब छह दिन का है. इसमें मशरूम की खेती से जुड़ी हर छोटी-बड़ी बात आसान और आम बोलचाल की भाषा में समझाई जा रही है. प्रशिक्षण के दौरान प्रतिभागियों को बताया जा रहा है कि मशरूम कैसे उगाया जाता है, कौन-सी किस्म ज्यादा फायदेमंद होती है और किस मौसम में कौन-सा मशरूम बेहतर रहता है. बटन मशरूम, ऑयस्टर मशरूम और मिल्की मशरूम जैसी किस्मों पर खास तौर पर जानकारी दी जा रही है, ताकि लोग अपनी सुविधा और बाजार की मांग के अनुसार उत्पादन कर सकें.

थ्योरी के साथ प्रैक्टिकल भी

इस प्रशिक्षण की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां केवल किताबों की बात नहीं होती, बल्कि प्रैक्टिकल ट्रेनिंग पर भी पूरा जोर दिया जाता है. प्रतिभागियों को खुद स्पॉन तैयार करना, बेड बनाना, तापमान और नमी का ध्यान रखना और बीमारियों से मशरूम को बचाने के तरीके सिखाए जाते हैं. विशेषज्ञ बताते हैं कि अगर सही तकनीक अपनाई जाए, तो मशरूम की खेती से कुछ ही महीनों में लागत निकल आती है और इसके बाद मुनाफा शुरू हो जाता है. डॉ. मुकेश श्रीवास्तव का कहना है कि मशरूम उत्पादन से जुड़कर लोग न सिर्फ खुद का रोजगार शुरू कर सकते हैं, बल्कि दूसरों को भी काम दे सकते हैं.

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Priyanshu Gupta

Priyanshu has more than 10 years of experience in journalism. Before News 18 (Network 18 Group), he had worked with Rajsthan Patrika and Amar Ujala. He has Studied Journalism from Indian Institute of Mass Commu…और पढ़ें

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कानपुर में सिखाई जा ही मशरूम की खेती, जानें बटन से मिल्की तक को उगाने की ट्रिक



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