यूपी के इस जिले में आवारा कुत्तों का आतंक, रोजाना आ रहे 100 से अधिक केस, लोगों में दहशत
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Amethi News: यूपी के अमेठी जिले में आवारा कुत्तों का आतंक बढ़ता जा रहा है. रोजाना सैकड़ों लोग कुत्तों के काटने और रेबीज के शिकार होकर अस्पताल पहुंच रहे हैं. सभी ब्लॉकों में हालात खराब हैं, लेकिन नगर पालिका और पशु विभाग के पास नियंत्रण की कोई ठोस व्यवस्था नहीं है.
अमेठी: यूपी के अमेठी जिले में इन दिनों आवारा कुत्तों का आतंक तेजी से बढ़ता जा रहा है. शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों तक हर गली और मोहल्ले में आवारा कुत्तों की संख्या लगातार बढ़ रही है. हालात ऐसे हो गए हैं कि रोज़ाना अस्पतालों में इलाज के लिए पहुंचने वाले मरीजों में कुत्तों के काटने और रेबीज के शिकार लोगों की संख्या अन्य बीमारियों से कहीं अधिक हो गई है. इससे आमजन में दहशत का माहौल है और लोग खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं.
जिले के लगभग सभी ब्लॉकों और तहसीलों में यही स्थिति देखने को मिल रही है. सड़कें हों या गांव की गलियां, हर जगह आवारा कुत्तों के झुंड घूमते नजर आते हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि पालतू कुत्तों पर तो मालिकों का नियंत्रण होता है, लेकिन सड़क पर घूमने वाले आवारा कुत्ते पूरी तरह आक्रामक हो चुके हैं. कई मामलों में बच्चों, बुजुर्गों और राह चलते लोगों पर अचानक हमला कर दिया जाता है, जिससे गंभीर चोटें लग रही हैं.
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक अमेठी जिले में प्रतिदिन सैकड़ों लोग कुत्तों के काटने के बाद इलाज के लिए अस्पताल पहुंच रहे हैं. खासकर शुकुल बाजार ब्लॉक में सबसे ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं. स्थिति यह है कि लोग अपने बच्चों को अकेले बाहर भेजने से डरने लगे हैं और शाम ढलते ही सड़कों पर सन्नाटा पसर जाता है.
इस पूरे मामले पर अमेठी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अंशुमान सिंह ने बताया कि जिले के सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और जिला अस्पताल में रेबीज के इंजेक्शन उपलब्ध कराए गए हैं, ताकि किसी भी मरीज को इलाज में परेशानी न हो. उन्होंने कहा कि समस्या के स्थायी समाधान के लिए पशु चिकित्सा विभाग और अन्य संबंधित विभागों से भी लगातार संपर्क किया जा रहा है.
हालांकि सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि अमेठी जिले में आवारा कुत्तों को लेकर किसी भी विभाग के पास ठोस नियंत्रण व्यवस्था नहीं है. न तो नगर पालिका, न नगर पंचायत और न ही पशु चिकित्सा विभाग के पास इन्हें पकड़ने, नसबंदी कराने या संख्या नियंत्रित करने की कोई प्रभावी योजना है. आरोप है कि सारी कवायद सिर्फ कागजों तक सीमित है, जबकि जमीनी स्तर पर हालात दिन-प्रतिदिन बिगड़ते जा रहे हैं.
स्थानीय लोगों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि जल्द से जल्द आवारा कुत्तों पर नियंत्रण के लिए ठोस कदम उठाए जाएं, ताकि आमजन को इस बढ़ते खतरे से राहत मिल सके.
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पिछले एक दशक से अधिक समय से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हूं. 2010 में प्रिंट मीडिया से अपने पत्रकारिता करियर की शुरुआत की, जिसके बाद यह सफर निरंतर आगे बढ़ता गया. प्रिंट, टीवी और डिजिटल-तीनों ही माध्यमों म…और पढ़ें