यूपी में अफसरों को चुन-चुनकर निशाना बना रहे साइबर ठग, इस बार रिटायर्ड DIG गंवा बैठे लाखों

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Lucknow News : ठगों ने रिटायर्ड DIG को फंसाने के लिए एक फर्जी कहानी रची और कामयाब हो गए. मैसेज पूरी तरह वास्तविक लग रहा था. प्रोफाइल फोटो और भाषा शैली भी काफी भरोसेमंद थी.
फंसाता चला गया फ्रॉड
रिटायर्ड डीआइजी राकेश शुक्ला ने बताया कि उन्हें व्हाट्सएप मैसेंजर पर उनके एक परिचित रिटायर्ड आएएएस अधिकारी बलविंदर कुमार के नाम से फ्रेंड रिक्वेस्ट आई. इसके बाद धड़धड़ मैसेज आने शुरू हो गए. उधर से आया मैसेज पूरी तरह वास्तविक प्रतीत हो रहा था क्योंकि प्रोफाइल फोटो और भाषा शैली भी काफी भरोसेमंद थी. इसी के झांसे में वे आ गए. फेसबुक पर फ्रॉड ने रिटायर्ड आईएएस बनकर रिटायर्ड डीआईजी से दोस्ती की. इसके बाद रिटायर्ड आईएएस ने अपने मित्र सीआरपीएफ में असिस्टेंट कमांडेंट का घरेलू सामान सस्ते दाम पर मिलने की दी जानकारी दी. उसने रिटायर्ड डीआईजी को घरेलू सामान की फोटो भेजी और उसकी कीमत 1,10,000 बताई. ठग ने उनसे कहा कि उनके मित्र सीआरपीएफ में असिस्टेंट कमांडेंट हैं और वो दिल्ली से घरेलू सामान सस्ते दामों पर मंगवा रहे हैं. सामान की क्वालिटी और कीमत का हवाला देते हुए उन्होंने राकेश शुक्ला को भी इसका लाभ उठाने का सुझाव दिया.
ठगी का ये नया तरीका
राकेश शुक्ला को इस पूरी बातचीत पर भरोसा हो गया और उन्होंने धीरे-धीरे करके कुल 1.75 लाख रुपये से अधिक की रकम बताए गए खाते में ट्रांसफर कर दी, लेकिन पैसे भेजने के बाद न तो कोई डिलीवरी हुई, न ही बात करने वाले से संपर्क हो पाया. रिटायर्ड डीआइजी समझ चुके थे कि उनके साथ फ्रॉड हो चुका है. वे भागे-भागे हजरतगंज कोतवाली पहुंचे और FIR दर्ज कराई. पुलिस का कहना है कि यह मामला उन नए तरीकों में से एक है जिसमें जालसाज वरिष्ठ नागरिकों और अधिकारियों को निशाना बनाकर उनके जानकारों के नाम का इस्तेमाल करते हैं. कई बार वे ठगी में कामयाब हो जाते हैं.