राजनीति का केंद्र है मथुरा का होली गेट, यहां चुनावी चर्चा के साथ तैयार होती है रणनीति 

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राजनीति का केंद्र है मथुरा का होली गेट, यहां चुनावी चर्चा के साथ तैयार होती है रणनीति 


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अंग्रेज शासनकाल में मथुरा के कलेक्टर रहे ब्रड फोर्ड हार्डिंग द्वारा साल 1875 में बनवाया गया था. दरअसल, हार्डिंग ने शहर में चार दरवाजे बनवाने का प्रस्ताव तैयार किया था. इसमें भरतपुर दरवाजा, डीग दरवाजा, वृन्दावन दरवाजा और होली दरवाजा शामिल था. जैसे-जैसे समय बीतता…और पढ़ें

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होली दरवाजा मथुरा की पहचान बनकर उभर आया

मथुरा: प्राचीन समय से मथुरा एक राजनीति का अखाड़ा रहा है. यहां से राजनीति की चर्चाएं तेज होती हैं. सभी राजनीति के गलियारों में जो रणनीति बनाकर तैयार होती है. वह यहीं से तैयार होती है. मथुरा के हृदय स्थल कहे जाने वाले होली गेट पर आपको चाहे धरना देना हो या राजनीति के खेत की सिंचाई करनी हो, तो आपको यहीं से सारी भूमिका बनानी होगी. आज भी इस जगह को राजनीति का केंद्र माना जाता है.

मथुरा का हृदय स्थल

मथुरा योगीराज की नगरी होने के साथ-साथ यहां एक राजनीति में अपना बड़ा ही वर्चस्व रखती है. राजनीति की नींव भी मथुरा की इन गलियों से होकर गुजरती है. आज भी मथुरा में राजनीति का जो स्तंभ कहा जाता है, वह मौजूद है. यहीं से राजनीति की सीमा तय की जाती है और यहीं से राजनीति की खेतों में बोई जाने वाली फसल का खाका खींचा जाता है. इस जगह को मथुरा का हृदय स्थल कहा जाता है चलिए जानते हैं एक इतिहासकार डॉक्टर सुरेश चंद शर्मा से उन्होंने लोकल 18 से बातचीत करते वक्त बताया कि होली गेट को एक अंग्रेजी कलेक्टर ने बनवाया था और उसे समय उनकी चर्चाएं बहुत तेजी से इस दरवाजे को लेकर उठीं थीं.

ब्रड फोर्ड हार्डिंग ने बनवाया था होली गेट

उन्होंने कहा कि अंग्रेज शासनकाल में मथुरा के कलेक्टर रहे ब्रड फोर्ड हार्डिंग द्वारा साल 1875 में बनवाया गया था. दरअसल, हार्डिंग ने शहर में चार दरवाजे बनवाने का प्रस्ताव तैयार किया था. इसमें भरतपुर दरवाजा, डीग दरवाजा, वृन्दावन दरवाजा और होली दरवाजा शामिल था. जैसे-जैसे समय बीतता गया भरतपुर, डीग और वृन्दावन दरवाजे केवल नाम के लिए रह गए, लेकिन होली दरवाजा मथुरा की पहचान बनकर उभर आया.

चार बार बदला था विशालतम दरवाजे का नाम 

ब्रड फोर्ड हार्डिंग के सम्मान में इसका नाम हार्डिंग गेट रखा गया था. इसके बाद 15 अगस्त 1947 में इस दरवाजे के नाम को बदलकर लोकमान्य तिलक के नाम पर तिलक दरवाजा रखा गया. मौजूदा समय में यहां शहर की होली जलती है. इसलिए, अब इसे होली गेट नाम से जाना जाता है. इस तरह दरवाजे के नाम में अब तक तीन बार बदलाव हो चुके हैं. इस विशाल दरवाजे के ऊपर एक क्युपोला भी स्थित है. क्युपोला इमारतों के ऊपर बनने वाला एक छतरी नुमा गुम्बद होता है.

सूझ-बूझ के साथ बनाया गया था नक्शा

इस होली गेट का नक्शा, मथुरा नगर पालिका के एक बेहद योग्य इंजीनियर यूसुफ़ ने बनाया था. जो बेहतरीन सूझ-बूझ के साथ खूबसूरती को भी दर्शाता है. इसके ऊपर क्युपोला के साथ चार हवादार छोटी छतरी यानी कियोस्क का भी निर्माण किया गया. 1875 में दरवाजे के साथ दो दुकानों में करीब 13 हज़ार 731 रुपयों का खर्च किया गया था.

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