राधाष्टमी महोत्सव का भव्य आयोजन, राधा-रानी का 5256वां प्राकट्योत्सव

Last Updated:
वृन्दावन चंद्रोदय मंदिर के अध्यक्ष श्री चंचलापति दास ने भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि श्रीमती राधा रानी का एक नाम भव व्याधि विनाशिनी है. जो भक्त उनके चरणों में पूर्ण समर्पण करता है, उन्हें राधा रानी भवसागर …और पढ़ें
भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को मनाए जाने वाले इस पर्व पर राधा रानी एवं वृन्दावन चंद्र का महाभिषेक वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ संपन्न हुआ. पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, बूरा), विभिन्न फलों के रस, जड़ी-बूटियों एवं पुष्पों से महाभिषेक की प्रक्रिया को संपन्न कराया गया. इस अवसर पर ठाकुरजी को नीले एवं श्वेत वर्ण के रेशमी परिधानों के साथ रजत कढ़ाई युक्त वस्त्रों से अलंकृत किया गया.
वृन्दावन चंद्रोदय मंदिर के अध्यक्ष श्री चंचलापति दास ने भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि श्रीमती राधा रानी का एक नाम भव व्याधि विनाशिनी है. जो भक्त उनके चरणों में पूर्ण समर्पण करता है, उन्हें राधा रानी भवसागर से पार लगाकर श्रीकृष्ण भक्ति प्रदान करती हैं एवं अपने निज धाम में आश्रय देती हैं. जीव प्रकृति के तीनों गुणों के वश होकर जन्मदृमृत्यु के चक्र में फंसा रहता है. किन्तु राधा रानी अपने आश्रित भक्तों की माता की भांति रक्षा एवं पोषण करती हैं. उन्हें भक्ति मार्ग पर अग्रसर करती हैं. इस पावन अवसर पर हमें राधा रानी से निरंतर प्रार्थना करनी चाहिए कि वे हमें अपने चरणों की सेवा का अवसर प्रदान करें. योगीराज श्री कृष्ण का 5252 वां जन्मोत्सव बड़े ही हर्ष के साथ मनाया गया था. राधा रानी भगवान श्री कृष्ण से 4 वर्ष बड़ी थीं.
कृष्ण से उम्र में इतने साल हैं बड़ी
कृष्ण और राधा पहली बार मिले थे, तो कृष्ण 8 वर्ष के थे और राधा 12 वर्ष की थीं. इस बार राधा रानी का 5256 साल की हुईं. राधा अष्टमी का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया गया. पौराणिक कथा के अनुसार, जब राधा और कृष्ण का प्रेम हुआ, तब कृष्ण 8 वर्ष के और राधा 12 वर्ष की थीं. एक अन्य कथा के अनुसार, ब्रह्मवैवर्त पुराण में यह उल्लेख है कि राधा रानी कृष्ण से चार साल बड़ी थीं. राधाष्टमी महोत्सव के दौरान हरिनाम संकीर्तन में भक्तों ने भावविभोर होकर सहभागिता की. मथुरा, आगरा, लखनऊ, जयपुर, दिल्ली, भरतपुर सहित विभिन्न नगरों से आए श्रद्धालुओं ने उत्सव में भाग लिया और दिव्य आध्यात्मिक आनंद का अनुभव किया.