सर आपकी बीमा पोलिसी मेच्‍योर हो गयी है…..कहीं आपके पास तो नहीं आया ऐसा फोन?

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सर आपकी बीमा पोलिसी मेच्‍योर हो गयी है…..कहीं आपके पास तो नहीं आया ऐसा फोन?


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Ghaziabad crime news – गाजियाबाद साइबर क्राइम थाने ने बीमा कंपनियों के फर्जी प्रतिनिधि बनकर ठगी करने वाले गिरोह के पांच सदस्यों को गिरफ्तार किया. गिरोह ने 44 लाख रुपये की ठगी की थी.

गाजियाबाद साइबर क्राइम की गिरफ्त में आरोपी.

गाजियाबाद. साइबर क्राइम थाने ने एक ऐसे गिरोह के पांच सदस्यों को गिरफ्तार किया है, जो बीमा कंपनियों के फर्जी प्रतिनिधि बनकर, ऑनलाइन टास्क और होटल बुकिंग के नाम पर लोगों को ठगते थे. पकड़े गए अभियुक्तों के नाम रवि प्रताप, विकास कुमार, नवीन प्रताप, अनुज और गुंजन हैं. पुलिस ने इनके पास से 5 मोबाइल फोन, 1 लैंडलाइन डिवाइस, 2 चेक, 1 एटीएम कार्ड, 1 लाख 83 हजार रुपये नकद और एक महिंद्रा XUV 500 कार बरामद की है.

इस गैंग ने कुल 44 लाख रुपये की साइबर ठगी की, जिसमें तीन राज्यों की तीन घटनाओं का खुलासा हुआ है. यह गैंग फर्जी सिम कार्ड और मोबाइल नंबरों का इस्तेमाल कर लोगों को फोन करता था. वे बीमा पॉलिसी में ज्यादा मुनाफा, परिपक्व (मैच्योर) पॉलिसी के पैसे से बिटकॉइन खरीदने, ऑनलाइन टास्क पूरा करने या होटल बुकिंग के बहाने लोगों से उनके खातों में पैसे ट्रांसफर करवाते थे. पुलिस ने पाया कि इन लोगों ने गाजियाबाद के महीपाल बिष्ट से बिटकॉइन खरीदने के नाम पर 36 लाख रुपये की ठगी की. महीपाल ने 3 जुलाई 2025 को इसकी शिकायत दर्ज की थी.

इसके अलावा, तेलंगाना के हैदराबाद में नरसिम्हा से 8 लाख रुपये और तमिलनाडु के नीलगिरी में वी. सर्वनन से 35 हजार रुपये की ठगी की घटनाएं सामने आईं. पूछताछ में रवि प्रताप ने बताया कि वह 2020 में नोएडा की प्राइम फोलियो कंपनी में काम करता था, जो रिलायंस, एचडीएफसी, बजाज जैसी बीमा कंपनियों का ग्राहक सेवा केंद्र थी. वहां उसकी मुलाकात विकास कुमार और संकेत त्यागी से हुई. संकेत ने कंपनी से पॉलिसीधारकों की निजी जानकारी चुरा ली. बाद में इन लोगों ने नौकरी छोड़ दी और फर्जी बीमा अधिकारी बनकर लोगों को ठगना शुरू किया. वे अनुज, सोनू, मनोज, अमन और गुंजन के खातों में पैसे ट्रांसफर करवाते और एटीएम से निकालकर बांट लेते थे.

फर्जी सिम कार्ड नोएडा से खरीदे जाते थे. जब महीपाल बिष्ट ने मुकदमा दर्ज कराया, तो इन लोगों ने सिम, मोबाइल और एटीएम को तोड़कर नाले में फेंक दिया. बरामद कार, जो रवि के नाम पर है, की किस्तें भी ठगी के पैसों से भरी जा रही थीं. पुलिस ने इनके मोबाइल फोन, बैंक खातों और चैट से तीन राज्यों की ठगी की घटनाओं का खुलासा किया. रवि और विकास पहले दिल्ली के द्वारका साइबर क्राइम थाने से जेल जा चुके हैं, जबकि अनुज जालौन में चोरी के मामले में जेल गया था. पुलिस अब इन घटनाओं की आगे की जांच कर रही है.

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