सिर्फ डेढ़ महीने तक मिलती है ये सब्जी, डिमांड इतनी कि पहुंच गई 80 रुपये किलो

Last Updated:
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में बरसात के मौसम में एक अनोखी और दुर्लभ सब्जी पाई जाती है, जो कई बीमारियों के इलाज में रामबाण मानी जाती है. लोग इसे छोटे करेला, कटीले परवल या ककोड़ा के नाम से जानते हैं. यह सब्जी न सिर्फ स्वाद में बेहतरीन होती है, बल्कि सेहत के लिए भी बेहद फायदेमंद होती है. ककोड़ा में कैलोरी कम और पोषक तत्व अधिक होते हैं. यह विटामिन्स, मिनरल्स और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होती है, जो शरीर को कई स्तरों पर फायदा पहुंचाती है.
यूपी के लखीमपुर खीरी जिले के तराई इलाके में बरसात के मौसम में एक अनोखी सब्जी पाई जाती है. कई बीमारियों के लिए रामबाण भी होती है. यह फल कांटों के झाड़ों पर उगता है. इसे जंगल का राजा भी कहते हैं.

बरसात के मौसम में बाजारों में इस सब्जी की डिमांड अधिक होती है. बाजारों में यह 50 से लेकर 80 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बिकती है. यह फल केवल डेढ़ महीने तक बाजार में मिलता है.

इसमें भरपूर प्रोटीन और फाइबर होता है, इसलिए लोग इसे खाना पसंद करते हैं. इस फल का वजन 30 से 40 ग्राम होता है. ऊपर से कांटेदार दिखता है, लेकिन अंदर से बहुत स्वादिष्ट होता है. गांव में लोग इसे कटीले परवल के नाम से भी जानते हैं.

ककोड़ा की बेल होती है, जो अपने आप जंगलों-झाड़ियों में उग आती है और फैल जाती है. यह पाचन तंत्र को मजबूत बनाती है और पेट से जुड़ी समस्याओं में राहत देती है. आयुर्वेद के अनुसार, यह सब्जी शरीर की गर्मी को संतुलित करती है.

हर जिले में लोग इस सब्जी को अलग-अलग तरीके से जानते हैं. कहीं लोग इसे छोटा करेला, तो कहीं कटीला परवल और ककोड़ा के नाम से जानते हैं. आयुर्वेदिक आचार्य देवेंद्र कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि ककोड़ा की सब्जी में कम कैलोरी और उच्च पोषक तत्व पाए जाते हैं. यह विटामिन्स, मिनरल्स और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होती है.

इसमें फाइबर की अच्छी मात्रा होती है, जो कब्ज दूर करने और पाचन को दुरुस्त रखने में मदद करती है. इसके अलावा ककोड़ा का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, जो ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में सहायक होता है.

इसमें कैलोरी कम और फाइबर अधिक होता है, जिससे लंबे समय तक पेट भरा रहता है और वजन प्रबंधन में सहायता मिलती है. इसमें विटामिन-सी और एंटीऑक्सीडेंट्स भरपूर मात्रा में होते हैं, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाने में मदद करते हैं.