11 महीने पहले ज्‍वाइन की थी सेना, चीन बॉर्डर पर हुए शहीद, विशाल को नम आंखों से दी गई अंतिम विदाई

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11 महीने पहले ज्‍वाइन की थी सेना, चीन बॉर्डर पर हुए शहीद, विशाल को नम आंखों से दी गई अंतिम विदाई


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अरुणाचल प्रदेश में चीन बॉर्डर पर तैनात फौजी विशाल कुमार डागर ने देश की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए. खेड़िया बुजुर्ग गांव में बुधवार को जब उन का पार्थिव शरीर पहुंचा, तो हर तरफ मातम छा गया. पूरे गांव …और पढ़ें

अलीगढ़ में शहीद जवान को अंतिम विदाई दी गई.

हाइलाइट्स

  • शहीद विशाल कुमार को नम आंखों से दी अंतिम विदाई.
  • विशाल कुमार 11 महीने पहले सेना में भर्ती हुए थे.
  • विशाल का अंतिम संस्कार सैन्य सम्मान के साथ किया गया.

अलीगढ़. भारत माता की सेवा में अपने प्राण न्योछावर करने वाले वीर सपूत विशाल कुमार डागर का पार्थिव शरीर बुधवार को जब उनके पैतृक गांव खेड़िया बुजुर्ग पहुंचा, तो वहां का माहौल गमगीन हो गया. पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई. विशाल के अंतिम दर्शन के लिए जनसैलाब उमड़ पड़ा. हर किसी की आंखें नम थीं, लेकिन गर्व भी था कि उनके गांव का बेटा देश की रक्षा करते हुए शहीद हुआ. लोगों ने ‘भारत माता की जय’ और ‘वंदे मातरम’ के नारे लगाकर अपने वीर सपूत को श्रद्धांजलि दी.

विशाल कुमार डागर भारतीय सेना में महज 11 महीने पहले भर्ती हुए थे. वह अपने पहले ही प्रयास में सेना में शामिल होकर देश की सेवा का सपना पूरा करने में सफल रहे थे. उनकी तैनाती अरुणाचल प्रदेश में चीन बॉर्डर पर थी. बताया जा रहा है कि ड्यूटी के दौरान सिर पर चोट लग गई, जिससे हालात गंभीर हो गई. उनकी शहादत की खबर जैसे ही गांव में पहुंची, वैसे ही मातम छा गया. परिवारवालों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया.

विशाल के पिता जयप्रकाश सिंह को सेना के अधिकारियों ने बेटे की शहादत की सूचना दी. यह खबर सुनते ही पूरा परिवार शोक में डूब गया. मां का रो-रोकर बुरा हालहै, उनकी आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे. विशाल का छोटा भाई रवि भी भारतीय सेना में देश की सेवा कर रहा है. विशाल के परिवार में उनके माता-पिता, दो भाई और एक बहन हैं. परिवार को अपने बेटे की बहादुरी पर गर्व है, लेकिन बेटे के जाने का दर्द असहनीय है.

बुधवार को विशाल कुमार का पार्थिव शरीर जैसे ही खेड़िया बुजुर्ग गांव पहुंचा, तो पूरा गांव उमड़ पड़ा. हर कोई अपने वीर सपूत को अंतिम विदाई देने के लिए उमड़ पड़ा. सेना के जवानों ने तिरंगे में लिपटे विशाल के पार्थिव शरीर को सलामी दी. एसडीएम खैर महिमा, पुलिस के आला अधिकारी और हजारों की संख्या में ग्रामीण इस मौके पर मौजूद रहे. विशाल चार महीने पहले ही छुट्टी पर घर आए थे. उन्होंने परिवार के साथ वक्त बिताया और फिर ड्यूटी पर लौट गए थे.

पांच दिन पहले ही उन्होंने अपने परिवार से फोन पर बात की थी. किसी को नहीं पता था कि यह उनकी आखिरी बातचीत होगी. गांव के श्मशान घाट पर पूरे सैन्य सम्मान के साथ विशाल कुमार का अंतिम संस्कार किया गया. सेना के जवानों ने सलामी दी और तिरंगे में लिपटे विशाल को अंतिम विदाई दी. विशाल की शहादत पर पूरे गांव को गर्व है, लेकिन उनके जाने का गम भी हर किसी की आंखों में साफ झलक रहा था. विशाल कुमार डागर का यह बलिदान हमेशा याद रखा जाएगा.

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11 महीने पहले सेना में हुए थे भर्ती, शहीद विशाल को नम आंखों से दी अंतिम विदाई



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