1857 से 1947 तक का पूरा इतिहास, मेरठ के इस संग्रहालय में देखिए…..

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मेरठ कैंट स्थित राजकीय स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय 1857 में हुए प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के ऐतिहासिक क्षणों को संजोए हुए है. यह संग्रहालय सिर्फ अतीत की झलक ही नहीं देता, बल्कि आधुनिक तकनीक के माध्यम से 1857 से 1947 तक की स्वतंत्रता से जुड़ी घटनाओं को जीवंत अनुभव भी कराता है. भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के तहत इसे पर्यटन विभाग द्वारा लगातार विकसित किया जा रहा है, जिससे यह स्थान इतिहास प्रेमियों और युवाओं के लिए एक ज्ञानवर्धक केंद्र बन गया है.
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ की बात करें तो मेरठ को क्रांति धरा के नाम से भी जाना जाता है. अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ 10 मई 1857 को प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का आगाज भी मेरठ से ही हुआ था. जिसके बाद देश भर में क्रांति की ज्वाला उत्पन्न हुई थी. ऐसे में अगर आप प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के आगाज से लेकर देश आजाद होने तक के प्रत्येक क्रांति घटनाओं के बारे में जानना चाहते हैं. ऐसे सभी लोगों के लिए मेरठ कैंट स्थित राजकीय स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय काफी अच्छा स्थान साबित हो सकता है.

जहां प्रत्येक घटनाओं को बारीकी से दर्शाया गया है. जैसे ही आप संग्रहालय के अंदर प्रवेश करेंगे, आपको अमर जवान ज्योति प्रज्वलित होती हुई दिखाई देगी, जो अमर क्रांतिकारियों को नमन करने के लिए स्थापित की गई है. यह ज्योति दिल्ली स्थित अमर जवान ज्योति की तर्ज पर मेरठ में निरंतर जलती रहती है. विभिन्न राष्ट्रीय पर्वों पर यहां मेरठ ही नहीं, बल्कि दूर-दराज से आए लोग भी अमर जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए नजर आते हैं.

संग्रहालय परिसर के अंदर ही भारत की आन, बान और शान का प्रतीक अशोक स्तंभ भी दिखाई देता है. यह स्तंभ उस ऐतिहासिक स्थान पर स्थापित है, जिसके बारे में मान्यता है कि यह कभी क्रांतिकारियों की गतिविधियों का प्रमुख केंद्र हुआ करता था. अशोक स्तंभ के पास 85 उन वीर क्रांतिकारियों के नाम भी दर्ज हैं, जिन्होंने 10 मई 1857 को प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की ज्वाला भड़काई और अंग्रेजी हुकूमत की नींव को हिला कर रख दिया. यही वह स्थान था, जहां से क्रांतिकारी दिल्ली की ओर कूच कर स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन को नए आयाम देने निकले थे.

संग्रहालय परिसर में एक हाईटेक गैलरी भी विकसित की गई है, जहां आगंतुक 1857 की क्रांति से लेकर देश की आज़ादी तक की हर महत्वपूर्ण घटना को प्रदर्शनी के ज़रिए देख और समझ सकते हैं. इस गैलरी में आधुनिक एलईडी स्क्रीन और डिजिटल डिस्प्ले लगाए गए हैं, जो ऐतिहासिक घटनाओं को जीवंत रूप में प्रस्तुत करते हैं.
संग्रहालय में कार्यरत हरिओम शुक्ला के अनुसार, यहां कुल पांच गैलरी स्थापित की गई हैं. इन गैलरियों को विभिन्न इतिहासकारों द्वारा किए गए गहन शोध और ऐतिहासिक तथ्यों के विश्लेषण के आधार पर तैयार किया गया है, ताकि लोगों को स्वतंत्रता संग्राम की पूरी कहानी एक सटीक और प्रभावशाली ढंग से समझाई जा सके.

उन्होंने बताया कि अगर आप गैलरी में जाएंगे, तो आपको मेरठ से जुड़े विभिन्न गांवों का ऐतिहासिक वर्णन देखने को मिलेगा. इस गैलरी में दर्शाया गया है कि कैसे मेरठ के क्रांतिकारियों ने देश को आज़ाद कराने में अहम भूमिका निभाई.
यहां आपको 1857 की क्रांति में अग्रणी रहे धनसिंह कोतवाल, साधुओं और अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान की जानकारी मिलेगी. साथ ही, आप मेरठ के उन प्रमुख क्रांति स्थलों के बारे में भी जान पाएंगे, जहां आज़ादी को लेकर रणनीतियां बनाई गईं और क्रांति की नींव रखी गई.

उसके बाद जैसे ही आप दूसरी गैलरी में प्रवेश करेंगे, तो यहां आपको बिहार, छत्तीसगढ़, राजस्थान, मध्य प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, बंगाल, असम, अरुणाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और उत्तराखंड सहित देश के विभिन्न राज्यों में हुई क्रांति की शुरुआती घटनाओं की जानकारी मिलेगी.
इस गैलरी में बताया गया है कि किस तरह अलग-अलग क्षेत्रों में स्वतंत्रता आंदोलन ने आकार लिया और वहां के लोगों ने किस प्रकार ब्रिटिश शासन के खिलाफ मोर्चा खोला.
संग्रहालय में इन सभी गैलरियों को अत्याधुनिक तकनीक से सजाया गया है. एलईडी डिस्प्ले और हाईटेक ऑडियो-विजुअल प्रेजेंटेशन के ज़रिए आप इन ऐतिहासिक घटनाओं को और भी जीवंत रूप में अनुभव कर सकते हैं.

इसी के साथ, हरिओम शुक्ला यह भी बताते हैं कि पर्यटन विभाग द्वारा राजकीय स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय को और अधिक विकसित करने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. जल्द ही यहां प्रोजेक्टर के माध्यम से भी 1857 की क्रांति के आरंभ से लेकर भारत के स्वतंत्र होने तक की सभी प्रमुख घटनाओं को दिखाया जाएगा.
यह संग्रहालय न सिर्फ इतिहास प्रेमियों के लिए खास है, बल्कि यहां स्कूली छात्र-छात्राएं और रिसर्च करने वाले विद्वान भी नियमित रूप से विजिट करते हैं, ताकि वे भारत की आजादी से जुड़ी ऐतिहासिक घटनाओं को नजदीक से समझ सकें.

बताते चलें कि राजकीय स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय में अब तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल सहित कई प्रमुख राजनेता अवलोकन कर चुके हैं. इन सभी ने अमर जवान ज्योति के समक्ष क्रांति वीरों को नमन कर श्रद्धांजलि अर्पित की है.
अब यह संग्रहालय देशभर के पर्यटकों और इतिहास में रुचि रखने वाले लोगों के लिए एक प्रमुख आकर्षण का केंद्र बन चुका है. अगर आप भी यहां विजिट करना चाहते हैं तो ध्यान दें कि संग्रहालय सोमवार को बंद रहता है. बाकी सभी दिनों में आप इसे सुबह 10:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक देख सकते हैं.