32 किलो वजन, 50KM का एवरेज, यूपी में है द्वितीय विश्व युद्ध की अनोखी बाइक

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32 किलो वजन, 50KM का एवरेज,  यूपी में है द्वितीय विश्व युद्ध की अनोखी बाइक


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Fold Portable Bike: प्रयागराज में पप्पू बुलेट वाले के पास द्वितीय विश्व युद्ध की फोल्ड पोर्टेबल बाइक है, जिसे उनके पिता ने सेना की नीलामी में 60 रुपए में खरीदा था. यह बाइक 50 किमी का एवरेज देती है और डीजल से चल…और पढ़ें

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बाइक के बारे में बताते पप्पू बुलेट

हाइलाइट्स

  • प्रयागराज में द्वितीय विश्व युद्ध की फोल्ड पोर्टेबल बाइक है.
  • बाइक का वजन 32 किलो और एवरेज 50 किमी है.
  • बाइक को बैग में भरकर सफर कर सकते हैं.

प्रयागराज: बाइक तो लोग बहुत देखे होंगे, लेकिन आज हम एक ऐसी बाइक देखेंगे, जिसका प्रयोग सेना द्वारा युद्ध के दौरान किया जाता रहा है. साथ ही विशेष कर युद्ध के दौरान सिर्फ इस बाइक को बैग में भरकर फाइटर प्लेन से नीचे उतर कर युद्ध में प्रयोग किया जाता रहा है. यह बाइक बहुत कम ही लोग देखे होंगे. ऐसी गाड़ी भारत में केवल एक है. यह गाड़ी अभी भी प्रयागराज में मौजूद है.

सेना की नीलामी में खरीदी थी बाइक

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान प्रयोग की गई फोल्ड पोर्टेबल बाइक को पप्पू बुलेट वाले ने प्रयागराज के छिवकी से नीलामी के दौरान खरीदी थी. लोकल 18 से बात करते हुए पप्पू बुलेट वाले ने बताया कि उनके अब्बा ने नीलामी में इस गाड़ी को 60 रुपए में खरीदे थे. जो आज भी उनके पास चलने के कंडीशन में मौजूद है. वहीं, खास बात यह है कि इस बाइक को मोड़ के अपने बैग में भी रख सकते हैं. इस बाइक को आप कहीं भी लेकर आ जा सकते हैं.

जानें बाइक की विशेषता

पप्पू बुलेट वाले ने बताया कि यह गाड़ी उनके पिता जावेद आलम प्रयागराज चौकी में नीलामी के दौरान सेना से खरीदे थे. इस गाड़ी का वजन 32 किलोग्राम है. जो पोर्टेबल है और फोल्ड हो जाती है. इसे सेना के जवान हवाई जहाज से पैराशूट के माध्यम से लेकर नीचे उतरते थे और बीहड़ इलाकों में गाड़ी चलाते हुए जाकर युद्ध करने का काम करते थे. इस गाड़ी का टायर अमेरिका से मंगाया गया है. वहीं, यह गाड़ी 50 किलोमीटर का एवरेज देती है और डीजल से चलती है.

विशेष मौके पर निकलती है बाइक

इस गाड़ी को चलाने को लेकर पप्पू ने बताया कि जब तक उनके पिताजी थे. यह अधिकतर चलती रहती थी, लेकिन अब 15 अगस्त और 26 जनवरी को ही इस गाड़ी को चलाया जाता है. सरकार की ओर से सुना भी कि एक बार इस गाड़ी को खरीदने के लिए आई थी. वहींं, कई निजी व्यक्ति भी इस गाड़ी को खरीदने की कोशिश किए हैं, लेकिन यह हमारे तीसरी पीढ़ी की विरासत है. हम इसे नहीं बेचेंगे.

वहीं, सेना द्वारा एक प्रदर्शनी में तीन दिनों के लिए इस गाड़ी को लेकर जाया गया था. यह गाड़ी पूरे भारत में एक ही है. इसीलिए इसको लोग खोजते रहते हैं. वहीं, पप्पू बुलेट के छोटे भाई इश्तियाक आलम भी इस गाड़ी के बहुत शौकीन हैं. वह अपने भाई के साथ मिलकर जितना संभव हो सकता है. इस गाड़ी की सुरक्षा करते हैं और विशेष मौके पर आकर चलाने का भी काम करते हैं.

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