360 छात्रों पर स्टडी, स्मार्ट बोर्ड बनाम पावरपॉइंट, लंबे समय तक सीखने में स्मार्ट क्लास ज्यादा असरदार, बदली पढ़ाई की तस्वीर
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Smart Class Medical Education : मेडिकल की पढ़ाई को आसान बनाने को लेकर जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में की गई रिसर्च में अहम खुलासा हुआ है. अध्ययन के मुताबिक स्मार्ट क्लास के जरिए पढ़ाई करने वाले एमबीबीएस छात्रों की समझ और याद रखने की क्षमता पावरपॉइंट से पढ़ने वाले छात्रों की तुलना में बेहतर पाई गई.
कानपुर: मेडिकल की पढ़ाई को हमेशा से ही कठिन और चुनौतीपूर्ण माना जाता है. भारी सिलेबस और जटिल विषयों के कारण एमबीबीएस छात्रों पर पढ़ाई का दबाव बना रहता है. ऐसे में यदि पढ़ाने का तरीका आसान और रोचक हो जाए, तो छात्रों की सीखने की क्षमता बेहतर हो सकती है. इसी सोच के तहत जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में की गई एक रिसर्च में सामने आया है कि स्मार्ट क्लास के जरिए पढ़ाई करने से छात्रों की समझ और याद रखने की क्षमता में उल्लेखनीय सुधार होता है.
किसने और क्यों की यह रिसर्च
यह अहम रिसर्च जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट के पूर्व एचओडी डॉ. यशवंत राय के नेतृत्व में की गई. रिसर्च टीम में सीनियर डॉक्टर नमिता और डॉ. ध्रुव अग्रवाल भी शामिल रहे. अध्ययन का मुख्य उद्देश्य यह जानना था कि स्मार्ट बोर्ड के माध्यम से पढ़ाई और पारंपरिक पावरपॉइंट आधारित शिक्षण में से कौन सा तरीका एमबीबीएस छात्रों के लिए अधिक प्रभावी है.
कैसे की गई स्टडी
यह रिसर्च अप्रैल से जुलाई 2025 के बीच जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में की गई. इसमें कुल 360 एमबीबीएस छात्रों को शामिल किया गया. सभी छात्रों को दो बराबर समूहों में विभाजित किया गया. पहले समूह को स्मार्ट बोर्ड के माध्यम से पढ़ाया गया, जबकि दूसरे समूह को पावरपॉइंट स्लाइड्स के जरिए पढ़ाई कराई गई. स्मार्ट क्लास में शिक्षक स्क्रीन पर लिख सकते थे, जरूरी बिंदुओं को हाइलाइट कर सकते थे और चित्र व वीडियो की मदद से विषय को समझा सकते थे. वहीं पावरपॉइंट क्लास पूरी तरह तैयार स्लाइड्स पर आधारित रही.
मूल्यांकन में सामने आया अंतर
छात्रों की समझ और सीखने की क्षमता का मूल्यांकन ओएससीई (OSCE) परीक्षा के माध्यम से किया गया. क्लास के तुरंत बाद दोनों समूहों के प्रदर्शन में कोई बड़ा अंतर नहीं देखा गया. लेकिन जब समय के अंतराल पर मूल्यांकन किया गया, तो नतीजे काफी चौंकाने वाले रहे. इससे यह स्पष्ट हुआ कि पढ़ाई के तरीकों का असर लंबे समय में ज्यादा दिखाई देता है.
लंबे समय तक याद रखने में स्मार्ट क्लास आगे
एक महीने बाद किए गए मूल्यांकन में स्मार्ट बोर्ड से पढ़े छात्रों की याद रखने और समझने की क्षमता 46.1 प्रतिशत पाई गई. वहीं पावरपॉइंट से पढ़े छात्रों की क्षमता 40.3 प्रतिशत रही. दो महीने बाद भी यही अंतर देखने को मिला. स्मार्ट क्लास समूह का प्रदर्शन 45 प्रतिशत रहा, जबकि पावरपॉइंट समूह 39 प्रतिशत तक ही पहुंच सका. इससे साफ हुआ कि लंबे समय तक जानकारी को याद रखने में स्मार्ट क्लास ज्यादा प्रभावी है.
छात्रों और प्रोफेसर्स की प्रतिक्रिया
रिसर्च के दौरान छात्रों और शिक्षकों से फीडबैक भी लिया गया. अधिकांश छात्रों का कहना था कि स्मार्ट क्लास ज्यादा रोचक होती है और विषयों को समझना आसान हो जाता है. छात्रों के अनुसार डिजिटल माध्यम से पढ़ाई करने पर चीजें लंबे समय तक याद रहती हैं. वहीं प्रोफेसर्स ने बताया कि स्मार्ट बोर्ड के इस्तेमाल से क्लास में छात्रों की भागीदारी बढ़ी है. छात्र ज्यादा सवाल पूछते हैं और पढ़ाई में उनकी रुचि भी बढ़ी है.
मेडिकल शिक्षा के लिए अहम संकेत
डॉ. यशवंत राय का कहना है कि भारत में अभी भी मेडिकल शिक्षा का बड़ा हिस्सा पारंपरिक तरीकों पर निर्भर है. लेकिन यह रिसर्च संकेत देती है कि अगर मेडिकल कॉलेजों में स्मार्ट क्लास को बढ़ावा दिया जाए, तो न सिर्फ पढ़ाई की गुणवत्ता सुधरेगी बल्कि छात्रों का प्रदर्शन भी बेहतर होगा. भविष्य में मेडिकल एजुकेशन को अधिक प्रभावी बनाने के लिए यह एक अहम कदम साबित हो सकता है.