हवा और धूप से चलेगी बाइक, नहीं पड़ेगी बिजली-पेट्रोल की जरूरत! जानें…

Last Updated:
Sultanpur Latest News: सुल्तानपुर के कमला नेहरू इंस्टीट्यूट के बीटेक छात्रों ने एक प्रोजेक्ट तैयार किया है जो वाहनों को हवा और सूरज की रोशनी से चार्ज करता है, जिससे बिजली, पेट्रोल और डीजल की खपत शून्य हो सकती ह…और पढ़ें
हाइलाइट्स
- कमला नेहरू इंस्टीट्यूट के छात्रों ने अनोखा प्रोजेक्ट बनाया.
- वाहन हवा और सूरज की रोशनी से चार्ज होते हैं.
- बिजली, पेट्रोल और डीजल की खपत शून्य हो सकती है.
सुल्तानपुर: भारत आज वैज्ञानिक और आधुनिक सोच के साथ तेज़ी से आगे बढ़ रहा है. देश के वैज्ञानिकों के साथ-साथ इंजीनियरिंग के छात्र भी नई खोज और तकनीक विकसित करने में लगातार मेहनत कर रहे हैं. इसी कड़ी में सुल्तानपुर के कमला नेहरू इंस्टीट्यूट के बीटेक छात्रों ने एक ऐसा अनोखा प्रोजेक्ट तैयार किया है, जो आने वाले समय में बिजली, पेट्रोल और डीजल की खपत को शून्य तक पहुंचा सकता है. यह तकनीक वाहनों को हवा और सूरज की रोशनी से चार्ज करने में सक्षम है, जिससे बैटरी को चार्ज करने के लिए बिजली की ज़रूरत भी नहीं पड़ेगी. आइए जानते हैं इस खास प्रोजेक्ट के बारे में विस्तार से.
कैसे काम करता है यह प्रोजेक्ट
इस इलेक्ट्रिक वाहन को बीटेक की छात्रा मीनाक्षी और उनकी टीम ने मिलकर तैयार किया है. लोकल 18 से बातचीत में मीनाक्षी ने बताया कि यह वाहन हवा और सूर्य की रोशनी की मदद से बैटरी को चार्ज करता है. गाड़ी जब चलती है, तो हवा से टरबाइन घुमते हैं और ऊपर लगे सोलर पैनल सूर्य की रोशनी से ऊर्जा बनाते हैं. इससे बैटरी को बार-बार बिजली से चार्ज करने की ज़रूरत नहीं पड़ती. गाड़ी चलते समय ही खुद-ब-खुद चार्ज होती रहती है, जिससे बिजली की भी बचत होती है.
सूरज की रोशनी और हवा से मिलेगी ऊर्जा
इस प्रोजेक्ट की खास बात यह है कि यह प्राकृतिक ऊर्जा स्रोतों जैसे धूप और हवा पर आधारित है. इसे इस तरह डिजाइन किया गया है कि इससे 30% तक एफिशिएंसी में बढ़ोतरी हो सके. इसका मतलब यह है कि बैटरी तेज़ी से चार्ज होगी और लंबे समय तक चलेगी. अगर यह तकनीक बड़े स्तर पर अपनाई जाती है, तो देश में बिजली की खपत काफी हद तक कम हो सकती है. साथ ही यह पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद साबित होगी.
इस प्रोजेक्ट की खास बात यह है कि यह प्राकृतिक ऊर्जा स्रोतों जैसे धूप और हवा पर आधारित है. इसे इस तरह डिजाइन किया गया है कि इससे 30% तक एफिशिएंसी में बढ़ोतरी हो सके. इसका मतलब यह है कि बैटरी तेज़ी से चार्ज होगी और लंबे समय तक चलेगी. अगर यह तकनीक बड़े स्तर पर अपनाई जाती है, तो देश में बिजली की खपत काफी हद तक कम हो सकती है. साथ ही यह पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद साबित होगी.