Ground report:- सरकारी ट्रॉमा सेंटर पर गोद में उठाकर भर्ती कराने पड़ते हैं मरीज़, वार्डबॉय नहीं है सुविधा 

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Ground report:- सरकारी ट्रॉमा सेंटर पर गोद में उठाकर भर्ती कराने पड़ते हैं मरीज़,  वार्डबॉय नहीं है सुविधा 


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Ground report:- फिरोजाबाद में बने सरकारी ट्रामा सेंटर का नज़ारा कुछ अलग ही है. यहां मेडिकल कॉलेज बनने के बाद नई नई इमारतों का शुभारंभ तो बहुत हो रहे हैं, लेकिन इमरजेंसी में आने वाले मरीजों को अंदर भर्ती कराने के लिए बार्डबॉय नहीं मिल…और पढ़ें

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मरीज़ को गोद में उठाकर अंदर ले जाते तीमारदार 

फिरोजाबाद: यूपी सरकार द्वारा स्वास्थ सेवाओं को बेहतर करने के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं. जिले में मेडिकल कॉलेज बनाए जा रहे हैं जिससे लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं पहले से और अच्छी मिल सके, लेकिन फिरोजाबाद में बने सरकारी ट्रामा सेंटर का नज़ारा कुछ अलग ही है. यहां मेडिकल कॉलेज बनने के बाद नई नई इमारतों का शुभारंभ तो बहुत हो रहे हैं, लेकिन इमरजेंसी में आने वाले मरीजों को अंदर भर्ती कराने के लिए बार्डबॉय नहीं मिल रहे हैं. मरीजों के साथ आने वाले लोगों को ही अपने मरीज को स्ट्रेचर पर लिटाकर या फिर गोद में उठाकर अंदर ले जाना पड़ रहा है. सरकारी ट्रामा सेंटर पर ये नजारा रोजाना देखने को मिलता है.

गोद में उठाकर अंदर भर्ती कराने ले जाते हैं मरीज

फिरोजाबाद जिले में मेडिकल कॉलेज बनने के बाद लोगों को उम्मीद थी कि यहां स्वास्थ सेवाएं पहले से बेहतर हो जाएंगी. मरीजों को अब कहीं दूर ले जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. सभी तरह की बीमारियों का इलाज यहीं मिलेगी. वही यहां एक इमरजेंसी ट्रॉमा सेंटर भी बनाया गया, जहां मेजर ओटी समेत कई तरह की इमरजेंसी सुविधाएं मरीजों की मिलेगी. लेकिन लोकल 18 ने जब मौके पर जाकर देखा तो नजारे चौंकाने वाले थे. जी हां, फिरोजाबाद इमरजेंसी ट्रॉमा सेंटर पर मरीजों को लाने वाले लोग खुद गोद में उठाकर मरीज को भर्ती कराने के लिए ले जा रहे थे. इस दौरान उनकी मदद के लिए कोई वार्डबॉय नहीं आया.

स्वास्थ सेवाओं का हाल है बुरा 

वही कुछ लोग अपनी कार से मरीज को अस्पताल लेकर आ रहे थे. उन्हें एंबुलेंस की भी सुविधा नहीं मिली. इस पर जब वहां मौजूद लोगों से पूछताछ की तो मरीज के साथ आए व्यक्ति मनोज पचौरी ने बताया कि यहां स्वास्थ सेवाओं का हाल बहुत बुरा है. अगर मरीज को इमरजेंसी सेवा के लिए यहां लाया जाए तो सबसे पहले उसको अंदर भर्ती कराने के लिए बार्डबॉय नहीं मिलता, जिसके चलते खुद ही मरीज को स्ट्रेचर पर लिटाकर अंदर ले जाना पड़ता है. इसके अलावा कभी कभी तो यहां स्ट्रेचर भी नहीं मिलता जिसकी वजह से मरीज को एंबुलेंस से गोद में उठाकर अंदर ले जाना पड़ता है.

इमरजेंसी ट्रॉमा सेंटर नहीं ये है बवाल का सेंटर

वहीं पास ही में खड़े एक और व्यक्ति प्रमोद कुमार ने बातचीत करते हुए बताया कि वह अपने भाई को एक्सीडेंट में घायल होने पर इमरजेंसी में लेकर आए, लेकिन यहां उन्हें कोई बेहतर सुविधा नहीं मिली. ये इमरजेंसी ट्रॉमा सेंटर नहीं ये बवाल का सेंटर बन चुका है. यहां के अधिकारी आंखें बंद किए हुए हैं और लोगों को स्वास्थ सेवाओं के नाम पर कुछ नहीं मिल रहा है. अपने मरीज की जान बचानी है, तो यहां एंबुलेंस से लेकर अन्दर भर्ती करने तक का काम खुद ही करना पड़ेगा.

इमरजेंसी ट्रॉमा सेंटर पर नहीं दिखते वार्ड बॉय

इसके बाद लोकल 18 ने वहां मौजूद अन्य लोगों से बातचीत की तो पता चला कि इमरजेंसी में वार्डबॉय की तैनाती तो रहती है, लेकिन यहां मरीजों के लिए कोई मदद नहीं करता. इमरजेंसी ट्रॉमा सेंटर पर आई एक महिला आरती ने लोकल 18 से बातचीत में कहा कि वह अपनी मां को लेकर यहां आई हैं, लेकिन यहां कोई भी वार्डबॉय नहीं मिला. इस वजह से उन्हें अपने मरीज को खुद ही स्ट्रेचर पर लिटाकर अंदर भर्ती कराने ले जाना पड़ा. वहीं जब अंदर जाते हैं, तो डॉक्टर और अन्य स्टाफ बाहर निकाल देता है. यहां अंदर ले जाने की सुविधा मरीजों को मिले तो ही लोगों को अच्छी स्वास्थ सेवाएं मिल सकेंगी.

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सरकारी ट्रॉमा सेंटर पर गोद में उठाकर भर्ती कराने पड़ते हैं मरीज़, जानिए क्यों



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