616 कैमरे, 5 रेंज और 35 दिन, पीलीभीत टाइगर रिजर्व में शुरू हुई बाघों की गणना, पिछली बार मिले थे सबसे ज्यादा

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616 कैमरे, 5 रेंज और 35 दिन, पीलीभीत टाइगर रिजर्व में शुरू हुई बाघों की गणना, पिछली बार मिले थे सबसे ज्यादा


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Pilibhit Tiger Reserve Census : पीलीभीत टाइगर रिजर्व में बाघों की गिनती शुरू कर दी गई है. इस गणना के तहत टाइगर रिजर्व की सभी पांच रेंजों में 35 दिन तक कैमरों से नजर रखी जाएगी. सभी रेंजों में आधुनिक ट्रैप कैमरा लगाए गए हैं. डेटा इकट्ठा कर भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून भेजा जाएगा. पीलीभीत टाइगर रिजर्व बाघों की संख्या दोगुनी करने के चलते अंतरराष्ट्रीय स्तर पर TX2 अवार्ड पहले ही हासिल कर चुका है.

पीलीभीत. यूपी के पीलीभीत टाइगर रिजर्व में बाघों के सटीक आकलन करने के लिए सोमवार से उनकी गणना शुरू कर दी गई. टाइगर रिजर्व की सभी पांच रेंजों में सोमवार से लगातार 35 दिन तक कैमरों से नजर रखी जाएगी. बाघ गणना को लेकर सभी पांच रेंजों में आधुनिक ट्रैप कैमरा सेटअप किए गए हैं. 35 दिन तक डेटा कंपाइल कर उसे भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून भेजा जाएगा. बाघों की संख्या दोगुनी करने के चलते अंतरराष्ट्रीय स्तर पर TX2 अवार्ड हासिल कर चुके पीलीभीत टाइगर रिजर्व में अखिल भारतीय बाघ गणना-2026 का कार्य तेजी से चल रहा है. इस बार यह गणना खास है, क्योंकि राज्य सरकार के निर्देशों पर बाघों के साथ-साथ तेंदुए समेत दूसरे शाकाहारी वन्यजीवों की भी वैज्ञानिक पद्धति से गणना की जाएगी.

पिछली बार कितने मिले

पीलीभीत टाइगर रिजर्व की महोफ, बराही, माला, हरीपुर और दियोरिया रेंज में टाइगर एस्टीमेशन करने वाली टीमों को पहले ही प्रशिक्षित किया जा चुका है. प्रशिक्षित टीमें तय प्रोटोकॉल के तहत जंगल में बाघों की मौजूदगी के वैज्ञानिक प्रमाण (पगमार्क, स्कैट, कैमरा फुटेज) जुटाएंगी. 2022 की गणना में पीलीभीत टाइगर रिजर्व में 71 से अधिक बाघ पाए गए थे. मगर, अब स्थिति बदल चुकी है. इस बार हो रही बाघ गणना पूरी तरह पेपरलेस होगी. टाइगर एस्टीमेशन करने वाली टीमें एम-स्ट्राइप एप के माध्यम से जानकारी दर्ज करेंगी, जिसमें बाघों के पगमार्क, खरोंच, मल और शिकार के निशान देखकर डेटा एप में फीड किया जाएगा.

हर कदम पर नजर

टाइगर रिजर्व प्रशासन की मुताबिक, बाघ गणना को लेकर सभी पांच रेंजों को 308 ग्रिड में विभाजित किया गया है. एक ग्रिड का आकार 02 वर्ग किमी निर्धारित है. प्रत्येक ग्रिड में एक पेयर कैमरा लगाया गया है. इस तरह सभी पांच रेंजों में 616 कैमरा लगाए गए हैं. राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के प्रोटोकॉल के तहत लगातार 35 दिन तक कैमरा ट्रैपिंग की जाएगी. इस दौरान चिन्हित प्वाइंटों पर लगे कैमरों से बाघों की फोटो कैप्चर की जाएगी. कैमरा ट्रैपिंग के बाद डेटा कंपाइलेशन किया जाएगा, जिसके आधार पर ही भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून के विशेषज्ञ बाघों समेत दूसरे वन्य जीवों की संख्या का अनुमान लगाएंगे.

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Priyanshu Gupta

Priyanshu has more than 10 years of experience in journalism. Before News 18 (Network 18 Group), he had worked with Rajsthan Patrika and Amar Ujala. He has Studied Journalism from Indian Institute of Mass Commu…और पढ़ें

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