भीषण गर्मी में पानी की एक-एक बूंद को तरस रहा यूपी का ये शहर, 4000 लोग प्रभावित

Last Updated:
Mahoba News: महोबा के शेखूनगर मोहल्ले में 4000 लोग चार साल से पानी की कमी से जूझ रहे हैं. महिलाएं दूर से पानी लाती हैं, बच्चे लाइन में खड़े रहते हैं. ‘हर घर नल से जल’ योजना कागजों में ही है. टैंकर अपर्याप्त और …और पढ़ें
Mahoba News: महोबा शहर के एक मोहल्ले में पानी की किल्लत से जूझ रहे लोग
हाइलाइट्स
- महोबा के शेखूनगर में पानी की भारी कमी है.
- 4000 लोग चार साल से पानी के लिए तरस रहे हैं.
- महिलाएं दूर से पानी लाने को मजबूर हैं.
महोबा. महोबा शहर का शेखूनगर मोहल्ला इन दिनों भीषण पेयजल संकट से जूझ रहा है. यहां की करीब 4000 आबादी की हर सुबह अब सूरज की रोशनी से नहीं, बल्कि पानी की चिंता से होती है. पिछले चार सालों से लोग बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं, लेकिन न सरकार सुन रही है, न जिम्मेदार जाग रहे हैं.
गर्मियों में यह संकट और भी गंभीर हो गया है. तपती दोपहरी में महिलाएं सिर पर बाल्टी, डब्बा और ड्रम उठाकर एक-एक किलोमीटर दूर पानी भरने जाती हैं. कई बार खाली बर्तन लेकर लौट आती हैं. बुजुर्गों की आंखों में अब उम्मीद नहीं, थकान झलकती है. बच्चों का बचपन पानी की लाइन में गुजर रहा है, स्कूल का बस्ता अब पानी के डिब्बे से बदल चुका है. शेखूनगर इलाका ऊंचाई पर बसा है, इसलिए यहां सप्लाई का पानी नहीं पहुंच पाता. पतली पाइपलाइन पिछले तीन महीने से सूखी पड़ी है और हैंडपंप भी काम नहीं कर रहे हैं. टैंकर आते हैं, लेकिन इतने कम कि दो बाल्टी पाने के लिए झगड़े और मारपीट तक हो जाती है. कई महिलाएं अब अपने दर्द को बुंदेली लोकगीतों में ढालकर गा रही हैं, शायद किसी संवेदना की कानों तक पहुंचे.
‘हर घर नल से जल’ योजना इस मोहल्ले में सिर्फ कागजों में है. मोहल्ले के लोग थक चुके हैं शिकायतें करके, लेकिन समाधान नहीं मिला. सभासद आनंद श्रीवास भी मानते हैं कि यहां पानी के लिए कोई ठोस व्यवस्था नहीं है. पानी की समस्या से कई वर्षों से जूझने के बाद भी लोग इससे आज भी परेशान हैं.
अब शेखूनगर के लोग एक ही मांग कर रहे हैं कि कम से कम जीने भर को पानी तो दो. एक स्थायी टंकी बने, और जब तक वह नहीं बने, रोज पर्याप्त और साफ पानी के टैंकर भेजे जाएं. क्योंकि पानी अब सिर्फ ज़रूरत नहीं, एक जंग बन चुका है. जो टैंकर नगर पालिका भेजती है वो न केवल अपर्याप्त है बल्कि गंदा पानी भी आ रहा है.
– बहरहाल, चार साल से लगातार पानी की कमी झेल रहे शेखूनगर के लोग अब भी उम्मीद लगाए बैठे हैं कि कोई आएगा, सुनेगा और इस पीड़ा का अंत करेगा. सवाल सिर्फ पानी का नहीं, जीवन और सम्मान से जीने के अधिकार का है. देखना ये है कि जिम्मेदार कब जागेंगे और कब ये सूखा मोहल्ला पानी की एक बूँद को तरसना छोड़ पाएगा.