100 साल पुराने पुलों का हुआ मरम्मत, धरोहरों को नया कर रहा झांसी रेल मंडल

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Jhansi Railway Division: झांसी रेल मंडल ने सात पुराने पुलों को आधुनिक तकनीकों से प्रतिस्थापित कर इंफ्रास्ट्रक्चर में महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है. मंडल रेल प्रबंधक दीपक कुमार सिन्हा ने इसे ऐतिहासिक कदम बताया.
100 साल पुराने ब्रिज को किया नया
हाइलाइट्स
- झांसी रेल मंडल ने सात पुराने पुलों को आधुनिक तकनीकों से प्रतिस्थापित किया.
- 100 साल पुराने पुलों को आरसीसी बॉक्स और पीएससी स्लैब से बदला गया.
- मंडल रेल प्रबंधक ने इसे ऐतिहासिक कदम बताया.
झांसी: यूपी में झांसी रेल मंडल ने इंफ्रास्ट्रक्चर के सतत विकास की दिशा में एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है. झांसी मंडल न केवल नई संरचनाओं का निर्माण कर रहा है, बल्कि दशकों पुराने रेलवे पुलों को भी आधुनिक आवश्यकताओं के अनुरूप सुदृढ़ और सुरक्षित बना रहा है. मंडल द्वारा कुल सात छोटे पुलों का सफलतापूर्वक प्रतिस्थापन किया गया है जो कि इंजीनियरिंग कौशल और प्रतिबद्धता का प्रतीक हैं.
100 साल पुराने पुल को किया गया नया
इनमें से कई पुल 100 साल से भी अधिक पुराने थे, जिन्हें अब आरसीसी बॉक्स और पीएससी स्लैब जैसी आधुनिक तकनीकों से प्रतिस्थापित कर भविष्य की आवश्यकता के अनुरूप बनाया गया है. पारीछा-चिरगांव, भीमसेन-गोविंदपुर, एट-कोंच जैसे विभिन्न खंडों में स्थित इन पुलों को बेहद सीमित समय में उच्च मानकों के साथ प्रतिस्थापित किया गया.
भविष्य के लिए किया मजबूत
कुछ स्थानों पर पुराने स्टोन स्लैब ब्रिज हटाकर 2.0×2.5 मीटर तक के आरसीसी बॉक्स लगाए गए तो कहीं 3.05 मीटर स्पान के स्टील गर्डर्स को आधुनिक पीएससी स्लैब से बदला गया. इन संरचनाओं के अद्यतन से न केवल ट्रेन संचालन की सुरक्षा और दक्षता में वृद्धि हुई है, बल्कि डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर जैसे महत्वपूर्ण परियोजनाओं को भी मजबूती मिली है. यह कार्य मंडल की तकनीकी दक्षता, कुशल योजना और रेलकर्मियों के समर्पण का उत्कृष्ट उदाहरण है.
झांसी में विरासत को बचाया गया
वहीं, मंडल रेल प्रबंधक दीपक कुमार सिन्हा ने कहा कि झांसी मंडल न सिर्फ नई परियोजनाओं पर कार्य कर रहा है, बल्कि हमारी विरासत रही संरचनाओं को भी भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार किया जा रहा है. इन पुलों का प्रतिस्थापन इस दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है. भविष्य में भी रेलकर्मियों द्वारा ऐसे कार्य किए जायेंगे.