कानूनी उत्तराधिकारी के अधिकारों को नॉमिनी प्रभावित नहीं कर सकता: हाईकोर्ट

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कानूनी उत्तराधिकारी के अधिकारों को नॉमिनी प्रभावित नहीं कर सकता: हाईकोर्ट


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UP News: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने फैसला सुनाया कि बीमा पॉलिसी के नॉमिनी को राशि का स्वामित्व नहीं होता. कुसुम की याचिका खारिज कर दी गई और मामला सुप्रीम कोर्ट में ले जाने की सलाह दी.

Lucknow News: इंश्योरेंस एक्ट को लेकर हाई कोर्ट का अहम फैसला

हाइलाइट्स

  • बीमा पॉलिसी के नॉमिनी को राशि का स्वामित्व नहीं होता: हाईकोर्ट
  • कुसुम की याचिका खारिज, सुप्रीम कोर्ट में जाने की सलाह
  • इंश्योरेंस एक्ट पर उत्तराधिकार कानून का दावा प्रबल

लखनऊ. इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि एक बीमा पॉलिसी के नॉमिनी को पॉलिसी की राशि का स्वामित्व नहीं होता. कोर्ट ने कहा कि इंश्योरेंस एक्ट के तहत लाभार्थी को ‘बेनिफिसरी नॉमिनी’ मानना और दूसरी तरफ कानूनी उत्तराधिकारियों को उससे बाहर रखना उचित नहीं। हाईकोर्ट ने इंश्योरेंस एक्ट के प्रावधानों पर उत्तराधिकार कानून के दावे को प्रबल माना.

धारा 39(7) के अनुसार, एक नामांकित व्यक्ति को बीमाकर्ता द्वारा मिलने वाली राशि का लाभकारी अधिकार प्राप्त होगा. कोर्ट ने कहा कि इस एक्ट में संशोधन से पहले, पॉलिसी का नॉमिनी व्यक्ति उत्तराधिकारी के लाभ के तहत राशि रखने का हकदार था. न्यायमूर्ति पंकज भाटिया ने हाल ही में यूपी के उन्नाव जिले की एक महिला कुसुम द्वारा दायर याचिका पर यह निर्णय सुनाया. कुसुम का अपनी बेटी रंजीता की बीमा पॉलिसियों के स्वामित्व को लेकर अपने दामाद और बहू के साथ विवाद चल रहा था. कुसुम ने रंजीता के अविवाहित होने पर उसके नाम पर 15 जीवन बीमा पॉलिसियां ली थीं. बाद में रंजीता की शादी हो गई और उसकी एक बेटी हुई. हालांकि, 2011 में रंजीता की मृत्यु हो गई जब उसकी बेटी 11 महीने की थी.

कुसुम बीमा पॉलिसियों की नॉमिनी व्यक्ति होने के कारण, उसने पॉलिसियों की राशि पर दावा किया. इस पर उसके दामाद और पोती ने सिविल कोर्ट में चुनौती दी और फैसला उनके पक्ष में हुआ. पुनरीक्षण याचिका में, उन्नाव जिला न्यायाधीश ने कुसुम को इन बीमा पॉलिसियों की राशि को पोती के बालिग़ होने तक उसके नाम पर फिक्स्ड डिपॉजिट रसीद (एफडीआर) के रूप में जमा करने का आदेश दिया.

इसके बाद कुसुम ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और तर्क दिया कि वह पॉलिसियों के तहत राशि की हकदार है, क्योंकि वह उस पॉलिसी की नॉमिनी है. हालांकि, कोर्ट ने इंश्योरेंस एक्ट के प्रावधानों पर उत्तराधिकार कानून के दावे को प्रबल मानते हुए याचिका खारिज कर दी. हालांकि कोर्ट ने यह भी कहा कि इस मुद्दे पर अलग-अलग हाईकोर्ट के विरोधाभासी निर्णयों की वजह से इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में ले जाना उचित होगा.

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