उत्तराखंड ही नहीं, पीलीभीत में भी लगा सकते हैं गोलू देवता के दरबार में अर्जी

0
उत्तराखंड ही नहीं, पीलीभीत में भी लगा सकते हैं गोलू देवता के दरबार में अर्जी


Last Updated:

Golu Devta Mandir Pilibhit: पीलीभीत के गोलू देवता मंदिर में भक्त अपनी समस्याओं की अर्जी लिखकर न्याय की उम्मीद रखते हैं. भगवान शिव के अवतार माने जाने वाले गोलू देवता के इस मंदिर में मन्नत पूरी होने पर घंटी चढ़ाई…और पढ़ें

हाइलाइट्स

  • पीलीभीत के गोलू देवता मंदिर में अर्जी से न्याय की उम्मीद.
  • मन्नत पूरी होने पर भक्त मंदिर में घंटी चढ़ाते हैं.
  • सोमवार को भक्त अपनी समस्याएं लिखकर अर्जी लगाते हैं.

पीलीभीत: अगर आपको लगता है कि दुनिया के हर दरवाज़े बंद हो गए हैं और कहीं से भी इंसाफ नहीं मिल रहा, तो एक दरवाज़ा अब भी खुला है गोलू देवता का दरवाजा. पीलीभीत में मौजूद गोलू देवता का यह मंदिर (Golu Devta Mandir) न्याय की उम्मीद रखने वालों की आखिरी आस बन चुका है. यहां भक्त बाकायदा चिट्ठी (अर्जी) लिखकर अपनी समस्या भगवान के सामने रखते हैं और मानते हैं कि जो बात अदालतें भी नहीं सुलझा पातीं, वह काम गोलू देवता जरूर कर देते हैं.

गोलू देवता (गोल्ज्यू) को भगवान शिव का अवतार माना जाता है. उत्तराखंड के अल्मोड़ा ज़िले के प्रसिद्ध चितई गोलू देवता मंदिर से प्रेरित होकर, कुछ साल पहले पर्वतीय समाज के लोगों ने उत्तर प्रदेश के पीलीभीत ज़िले में भी इसी आस्था से यह मंदिर बनवाया. यह मंदिर पीलीभीत शहर के नकटादाना चौराहे के पास साईं धाम मंदिर के ठीक सामने स्थित है.

अर्जी से मिलता है इंसाफ, भक्तों की उमड़ती है भीड़
मंदिर के महंत नवीन पांडे बताते हैं कि सोमवार का दिन गोलू देवता को समर्पित होता है. इस दिन श्रद्धालु अपनी मनोकामनाएं या समस्याएं एक कागज़ पर लिखते हैं, जिसे ‘अर्जी’ कहा जाता है. फिर उसे मंदिर परिसर में मौजूद मसान देवता को उड़द की दाल की खिचड़ी अर्पित कर, गोलू देवता के सामने रखा जाता है.

माना जाता है कि इस तरीके से अर्जी लगाने से न्याय मिलता है और मुश्किलें दूर हो जाती हैं. भक्त यहां अपनी हर मन की बात बेझिझक लिखते हैं कभी ज़मीन-जायदाद से जुड़ा विवाद, तो कभी नौकरी या रिश्तों की उलझन.

मन्नत पूरी होने पर चढ़ती है घंटी
गोलू देवता की एक और खास परंपरा है घंटी चढ़ाने की. जब किसी की मनोकामना पूरी हो जाती है या न्याय मिल जाता है, तो वह श्रद्धा से मंदिर में आकर घंटा चढ़ाता है. हालांकि यहां भक्त अपनी श्रद्धा के अनुसार कोई भी चीज़ अर्पित कर सकते हैं, इसमें कोई बंधन नहीं है.

homedharm

उत्तराखंड ही नहीं, पीलीभीत में भी लगा सकते हैं गोलू देवता के दरबार में अर्जी



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *