जलेबी की एक दुकान नहीं… फिर भी नाम जलेबी गली, अजीब है इस गली की कहानी

चित्रकूट- धर्म नगरी चित्रकूट, एक ऐसा स्थान जिसकी धरती को भगवान राम की लीला स्थली माना जाता है. यहां की हर गली और मोड़ भक्ति की सुगंध से भरे हुए हैं. पर इन आध्यात्मिक गलियों के बीच एक ऐसी गली भी है, जो लोगों को श्रद्धा के साथ-साथ मिठास का स्वाद भी देती है. इसे लोग ‘जलेबी वाली गली’कहते हैं.
श्रद्धालुओं की परिक्रमा और जलेबी का साथ
यह गली कामतानाथ की परिक्रमा करने वाले श्रद्धालुओं के लिए एक अनिवार्य पड़ाव बन गई. थके हुए भक्त इस गली में रुकते, गर्म जलेबियों का स्वाद चखते और फिर आगे बढ़ते. धीरे-धीरे यह गली सिर्फ एक रास्ता नहीं रही, बल्कि एक रस्म बन गई. लोग कहते हैं “कामतानाथ की परिक्रमा बिना जलेबी के अधूरी है.
समय के साथ जलेबी की कई पुरानी दुकानें बंद हो गईं, लेकिन कुछ दुकानों ने परंपरा को जिंदा रखा है. आज भी सुबह के समय इन दुकानों पर हल्की धूप के बीच खौलती कढ़ाही में जलेबी तैरती नजर आती है और श्रद्धालु उसकी महक से खिंचे चले आते हैं.
स्थानीय लोगों की जुबानी
चित्रकूट निवासी राकेश कुमार बताते हैं, “हमारे बड़े-बुज़ुर्ग कहते हैं कि कामतानाथ की परिक्रमा इसी गली की जलेबी से शुरू होती थी. कई अधिकारी और दूर-दराज के यात्री भी खासतौर पर यहां की जलेबी खाने आते थे.” उनके अनुसार, गली की पहचान आज भी वही है श्रद्धा में डूबी मिठास.
चित्रकूट वैसे तो धार्मिक तीर्थ के रूप में जाना जाता है, लेकिन ‘जलेबी वाली गली’ जैसे स्थल इस नगरी को और खास बना देते हैं. यहां धर्म और स्वाद का ऐसा मेल देखने को मिलता है जो भारत की विविध संस्कृति की अनूठी झलक देता है.
पर्यटन और स्वाद का संगम
आज जब लोग चित्रकूट आते हैं, तो धार्मिक स्थलों के साथ-साथ ‘जलेबी वाली गली’ को भी अपनी यात्रा सूची में शामिल करते हैं. यह गली धार्मिक पर्यटन को एक अलग आयाम देती है, जहां स्वाद और आस्था एक साथ चलते हैं.