बैंगन की खेती से बदल गई किसान की किस्मत! हर सीजन में हो रही लाखों की कमाई

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Lakhimpur Kheri News: किसान अब गेहूं- धान छोड़कर सब्जी की खेती की ओर बढ़ रहे हैं. इन्हीं में से एक है बैंगन. बैंगन की 6 महीने तक उपज होती है और इसकी बाजार में सालभर डिमांड बनी रहती है, जिससे किसानों को अच्छा मु…और पढ़ें
हाइलाइट्स
- किसान अब गेहूं- धान छोड़कर सब्जी की खेती की ओर बढ़ रहे हैं.
- बैंगन की 6 महीने तक उपज होती है.
- इसकी बाजार में सालभर डिमांड बनी रहती है.
इसी कड़ी में लोकल18 ने लखीमपुर के किसान गौतमचंद्र से बात की. वह बीते 15 सालों से लगातार बैंगन की खेती कर रहे हैं. सबसे दिलचस्प बात ये है कि उनके पास अपनी जमीन नहीं है, लेकिन खेती का जुनून इतना था कि उन्होंने 17 बीघा जमीन किराए पर लेकर सब्जी उगानी शुरू कर दी और आज लाखों रुपये की कमाई कर रहे हैं.
किसान गौतमचंद्र बताते हैं कि बैंगन की खास बात ये है कि रोपाई के 40-45 दिन बाद ही पौधा फल देना शुरू कर देता है. एक बार फल आना शुरू हुआ तो 6 से 7 महीने तक लगातार उत्पादन मिलता है. एक बीघा में करीब 4 क्विंटल बैंगन की उपज होती है. इस समय बाजार में बैंगन की कीमत 30 रुपये किलो चल रही है, जिससे आमदनी और बढ़ गई है.
क्यों है बैंगन की डिमांड?
बैंगन सिर्फ एक सब्जी नहीं है, बल्कि हर घर की रसोई में रोज इस्तेमाल होने वाली चीज है. इससे भर्ता, फ्राई, भरवां, पकौड़ी, अचार और यहां तक कि दाल-बाटी जैसी पारंपरिक थाली में भी इसका अहम रोल है. इस वजह से इसकी बाजार में डिमांड सालभर बनी रहती है.
गौतमचंद्र ने बताया कि उन्होंने शुरुआत में सिर्फ किराए की आधी बीघा जमीन पर बैंगन लगाया था. लेकिन जब पहले ही सीजन में मुनाफा हुआ, तो धीरे-धीरे जमीन बढ़ाते चले गए. आज 17 बीघा में बैंगन सहित दूसरी सब्जियों की खेती कर रहे हैं और मुनाफे के मामले में बड़े किसानों को भी टक्कर दे रहे हैं.
बैंगन की खेती में ज्यादा लागत नहीं आती, सिर्फ मेहनत और सही समय पर सिंचाई व कीटनाशक की जरूरत होती है. एक बार पौधा लग जाए तो हर हफ्ते तुड़ाई होती रहती है और पैसा घर आता रहता है.