इस तकनीक से उगाएं नींबू, 1 साल में तैयार होगा बाग-मिलेगा दोगुना मुनाफा!

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उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले का केशरिया गांव आज नींबू की खेती के लिए पूरे प्रदेश में अपनी अलग पहचान बना चुका है. यहां के लगभग हर किसान ने नींबू की बागवानी को अपनाया है और ग्राफ्टिंग जैसी आधुनिक तकनीक के ज़रिए क…और पढ़ें
यहां नींबू की फसल साल में तीन बार फल देती है. बागों की नियमित सफाई और देखभाल की जाती है, जिससे फलों की गुणवत्ता बनी रहती है. नींबू एक ऐसा फल है जिसकी मांग हर मौसम में बनी रहती है, विशेष रूप से गर्मियों में यह अच्छे दामों में बिकता है. इस वजह से किसानों को इससे अच्छा मुनाफा होता है.
गांव के किसान राम प्रकाश बताते हैं कि अगर किसान भाई पारंपरिक बीज विधि की बजाय ग्राफ्टिंग विधि अपनाते हैं, तो मात्र 1 वर्ष में ही पौधा तैयार हो जाता है. इस विधि में नींबू के पौधे की टहनी को 2–3 सेंटीमीटर तक छीलकर, उस पर गोबर की खाद और मिट्टी का लेप लगाकर उसे पन्नी से बांधा जाता है. लगभग एक महीने में टहनी से जड़ें निकलने लगती हैं और पौधा बढ़ने लगता है. इसके बाद इसे खेत में रोपित कर दिया जाता है. यह प्रक्रिया मानसून के मौसम में सबसे बेहतर होती है क्योंकि पौधों को इस समय पर्याप्त नमी मिलती है. इस विधि से पौधे जल्दी तैयार होते हैं और अच्छी पैदावार भी देते हैं.
बीज विधि से पौधा तैयार करने में 3 से 4 साल तक का समय लग जाता है. पहले बीज को मिट्टी और गोबर के मिश्रण में बोया जाता है, फिर पौधे को खेत में लगाया जाता है, और फल आने में कई साल लगते हैं. इसके विपरीत ग्राफ्टिंग से तैयार पौधा 1 साल में ही तैयार हो जाता है, जिससे समय की बचत होती है और जल्दी मुनाफा मिलता है.