Ballia News : इससे अच्छा तो बलिया में न होता ट्रामा सेंटर… धूल फांक रही मशीनें! लोगों की टूटने लगी उम्मीदें

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Ballia News : इससे अच्छा तो बलिया में न होता ट्रामा सेंटर… धूल फांक रही मशीनें! लोगों की टूटने लगी उम्मीदें


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Ballia News : बलिया जिला अस्पताल का ट्रामा सेंटर सालों से वेंटिलेटर सुविधा के बिना चल रहा है, जिससे मरीजों को वाराणसी या लखनऊ रेफर करना पड़ता है. हालांकि अधिकारियों के अनुसार, कुछ ही दिनों में वेंटिलेटर चालू हो…और पढ़ें

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धूल फांक रही करोड़ों की मशीनें (स्वास्थ्य विभाग)

हाइलाइट्स

  • बलिया ट्रामा सेंटर वेंटिलेटर सुविधा के बिना चल रहा है.
  • गंभीर मरीजों को वाराणसी या लखनऊ रेफर करना पड़ता है.
  • प्रशिक्षण के बाद वेंटिलेटर चालू होंगे.

बलिया : उत्तर प्रदेश सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर बड़े-बड़े दावे करती है. प्रदेश की योगी सरकार इस दिशा में लगातार प्रयास भी कर रही है लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के कारण बलिया में ये दावे खोखले नजर आते हैं. इसी कड़ी में आज हम बात कर रहे हैं जिला अस्पताल बलिया में बने ट्रामा सेंटर की. जिला अस्पताल परिसर में करोड़ों की लागत से बना ट्रामा सेंटर नाम मात्र का चल रहा है. इसके दूसरे तल पर विशेष ओटी के साथ 5 वेंटिलेटर का आईसीयू वार्ड तैयार किया गया है, जिसमें हर प्रकार की मशीनें भी सालों से लगकर तैयार हैं. लेकिन आज तक यह ट्रामा सेंटर शुरू नहीं हो सका है.

स्थिति यह है कि मरीजों को गंभीर स्थिति में वाराणसी या लखनऊ का रुख करना पड़ता है. अधिक दूरी के कारण अधिकतर मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं. अब तो जिला अस्पताल को लोगों ने ‘रेफरल अस्पताल’ का तमगा भी दे दिया है. वेंटिलेटर सुविधा बहाल न होने के कई कारण बताए जा रहे हैं. बलिया निवासी वरिष्ठ नागरिक नरेंद्र मिश्रा ने कहा कि उन्होंने ऐसी कई घटनाएं अपनी आंखों से देखी हैं, जहां काफी प्रयास करने के बाद भी मरीजों को वाराणसी रेफर करना पड़ा है.

लोगों की टूटने लगी उम्मीदें
नरेंद्र मिश्रा ने कि यह बड़े दुख की बात है कि सरकार द्वारा दी गई स्वास्थ्य सेवाएं अब धूल फांक रही हैं और लोगों की उम्मीदें भी टूटने लगी हैं. अधिकारियों से पूछने पर वे बताते हैं कि वेंटिलेटर को चलाने वाला कोई नहीं है. शहर निवासी उपेंद्र गुप्ता का कहना है कि कुछ महीने पहले उनके साथी आनंद दुबे सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गए थे. जिन्हें प्राथमिक उपचार के बाद केवल इस बात के लिए वाराणसी रेफर कर दिया गया कि वेंटिलेटर सुविधा यहां उपलब्ध नहीं है. जिसके बाद वहां लगभग एक लाख रुपए खर्च पड़े, तब जाकर उनमें अपेक्षित सुधार हो सका.

कब चालू होगा वेंटिलेटर?
मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. सुजीत कुमार यादव ने बताया कि वेंटिलेटर के विधिवत संचालन के लिए जिला अस्पताल से शासन के निर्देशानुसार एक चिकित्सक, स्टाफ नर्स सहित 20 स्टाफ को विशेष प्रशिक्षण के लिए आजमगढ़ भेजा गया है. उनके वापस आते ही जिला अस्पताल के सभी वेंटिलेटर चालू कर दिए जाएंगे.

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