Dharohar: झांसी किले के लिए ‘कलंक’ है ये गेट… दूल्हा जू की दगाबाजी से 1857 में पलट गया था खेल

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Jhansi News : झांसी का किला 1857 की क्रांति का गवाह है. मात्र 1200 सैनिकों ने झांसी किले को अंग्रेजों से आजाद करवाया था. हालांकि बाद में ओरछा गेट से अंग्रेजों ने धोखे से प्रवेश किया, जिससे रानी लक्ष्मीबाई को हा…और पढ़ें
ओरछा गेट
हाइलाइट्स
- झांसी किला 1857 की क्रांति का गवाह है.
- ओरछा गेट से अंग्रेजों ने धोखे से प्रवेश किया.
- ओरछा गेट को भारतीय स्वाधीनता संग्राम का कलंक माना जाता है.
झांसी : आजादी की पहली लड़ाई यानी 1857 की क्रांति का झांसी का किला चश्मदीद गवाह रहा है. कुछ इतिहासकारों का मानना है कि पड़ोसी राजाओं ने उस वक्त रानी लक्ष्मीबाई का साथ दिया होता तो आज इतिहास कुछ और ही होता. गौरतलब है कि 1857 में अंग्रेज़ो के खिलाफ विद्रोह हुआ था उस दौरान मात्र 1200 सैनिकों ने झांसी को अंग्रेजों से मुक्त कराया था. झांसी किले से 6 जून 1857 को ब्रिटिश झंडे को उतार दिया गया था. 4 अप्रैल 1858 तक अंग्रेज झांसी के किला पर अपनी हुकूमत का झंडा नहीं फहरा पाए थे.
यह मजबूत किला अपने परकोटे पर बने 10 गेट के साथ सुरक्षित था. लेकिन, इसमें से एक गेट ऐसा है जिसे 1857 की क्रांति के कलंक के रूप में जाना जाता है. ओरछा गेट पर तैनात कुछ सैनिकों ने धोखे से अंग्रेजों के लिए यह गेट खोल दिया था.
ओरछा गेट से अंग्रेजों ने किया प्रवेश
झांसी किला का परकोटा मराठा शासक नारुशंकर ने बनवाया था. इस परकोटा में 10 गेट और कई खिड़कियां शामिल हैं. यह परकोटा किले को सुरक्षित रखता था. 1857 के संग्राम में जब अंग्रेजों ने झांसी पर हमला किया तो रानी लक्ष्मीबाई ने सभी गेट बंद करवा दिया. कई दिन तक अंग्रेज झांसी में प्रवेश नहीं कर पाए. लेकिन, कुछ दिनों बाद ओरछा गेट पर तैनात दूल्हा जू ने दगाबाजी करते हुए गेट खोल दिया. अंग्रेजी सेना झांसी किले में प्रवेश कर गई. इसके बाद भारी संग्राम हुआ.
भारतीय स्वाधीनता संग्राम का कलंक है यह गेट
इतिहासकार रामनरेश देहुलिया ने बताया कि ओरछा गेट को भारतीय स्वाधीनता संग्राम के कलंक के रुप में जाना जाता है. अगर संग्राम के समय इस गेट को नहीं खोला जाता तो शायद इतिहास कुछ और होता. इस गेट से ही वीरांगना लक्ष्मीबाई को धोखा मिला. अगर इस गेट के अलंकरण की बात करें तो इसका डिजाइन बहुत सुंदर है. यह गेट आज भी सुरक्षित है और इसके आस पास आबादी रहती है. धरोहर सीरीज में हम आपको झांसी के अन्य कई धरोहर स्थलों के बारे में जानकारी देते रहेंगे.