Ground Report: टूटी सड़कें बनी कारोबार की दुश्मन, गड्ढों और गंदगी में उलझा व्यापार, दुकानदार बोले- कब तक…

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UP News: बरेली के राजेंद्र नगर और डीडी पुरम जैसे पॉश इलाके, जहां लोग आधुनिक विकास की उम्मीद रखते थे, वहां अब स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट व्यापारियों के लिए मुसीबत बन गया है.
बरेली: स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत बरेली में कई विकास कार्य हो रहे हैं. मगर शहर के पॉश इलाके राजेंद्र नगर और डीडी पुरम में यह विकास व्यापारियों के लिए मुसीबत बन गया है. लाखों-करोड़ों की लागत से बने शोरूम और आउटलेट पर अब ग्राहकों का आना-जाना कम होता जा रहा है. कारण है- सड़कों पर जमा बारिश और सीवर का पानी, टूटी सड़कें और नगर निगम की लापरवाही.
बरसात ने बढ़ाई परेशानी
राजेंद्र नगर और डीडी पुरम की सड़कों पर इन दिनों हालात ऐसे हैं कि सीवर का गंदा पानी दुकानों में घुस रहा है. जगह-जगह कचरा और कीचड़ जमा है. ग्राहक दुकानों तक पहुंचने में हिचकिचा रहे हैं. कई दुकानों के बाहर कीचड़ और गंदगी इतनी बढ़ गई है कि कस्टमर को ईंटों पर चलकर दुकानों तक जाना पड़ रहा है. नतीजा यह है कि लोग अब पीलीभीत बायपास स्थित फीनिक्स मॉल की तरफ रुख कर रहे हैं.
व्यापारी बोले- नगर निगम के अधिकारी फोन तक नहीं उठाते
व्यापारियों का आरोप है कि उन्होंने कई बार नगर निगम से शिकायत की, मगर न तो कॉल उठाई जाती है और न ही मौके पर कोई कार्रवाई होती है. व्यापारी नगर निगम महापौर डॉ. उमेश गौतम और नगर आयुक्त संजीव कुमार मौर्य से गुहार लगा रहे हैं कि विकास कार्य जल्द पूरा कराया जाए. उनका कहना है कि ड्रेनेज सिस्टम को दुरुस्त किए बिना रोड बनाने का कोई फायदा नहीं.
आकाश अरोड़ा बताते हैं कि फरवरी से यहां विकास कार्य चल रहा है. सीवर लाइन तो डाल दी गई है लेकिन किसी भी दुकान का सीवर कनेक्शन नहीं जोड़ा गया है. इसी वजह से सीवर का गंदा पानी उनकी दुकान में भर रहा है. अरोड़ा कहते हैं- ग्राहक पानी और कीचड़ देखकर दुकान में आने से बच रहे हैं. कई लोग आते हैं, मगर हालात देखकर वापस लौट जाते हैं. इससे हमें भारी नुकसान हो रहा है.
डॉ. साहब, जो चाट बाजार के पड़ोसी व्यापारी हैं, बताते हैं कि सीवर से उठती बदबू अब असहनीय होती जा रही है. उनका कहना है कि विकास कार्य व्यापारियों के लिए परेशानी का सबब बन गया है. वह नगर निगम से अपील करते हैं कि फरवरी से शुरू हुआ यह काम अब जल्द से जल्द पूरा कराया जाए.
नगर निगम पर सवाल
व्यापारियों का कहना है कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के नाम पर हो रहे कामों में जमीन पर हकीकत अलग है. न तो पानी निकासी की व्यवस्था है और न ही सीवर की लाइन सही से जुड़ी हुई है. व्यापारियों की आय लगातार घट रही है, जबकि कर्ज और खर्चा बढ़ता जा रहा है.
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