Kumbh Mela: ‘नाबालिग को दीक्षा नहीं दे सकते’, अखाड़े का महंत पर एक्‍शन, जानें साध्‍वी क्‍या बोलीं

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Kumbh Mela: ‘नाबालिग को दीक्षा नहीं दे सकते’, अखाड़े का महंत पर एक्‍शन, जानें साध्‍वी क्‍या बोलीं



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Kumbh Mela: श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े की महासभा ने सर्वसम्मति से 7 साल के लिए महंत कौशल गिरि को अखाड़े से निष्कासित करने का फैसला लिया है. इधर महंत का दावा है कि मैंने इस बच्‍ची और उसके परिवार को बहुत समझाया था,…और पढ़ें

प्रयागराज. संगम नगरी में आयोजित हो रहे महाकुंभ में सन्यासियों के जूना अखाड़े में 13 साल की नाबालिग बच्ची  राखी सिंह धाकरे को संन्यास की दीक्षा देने वाले महंत कौशल गिरि के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की गई है. जूना अखाड़े ने महंत कौशल  गिरि को 7 साल के लिए अखाड़े से निष्कासित कर दिया गया है. श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े की महासभा ने सर्वसम्मति से 7 साल के लिए महंत कौशल गिरि को अखाड़े से निष्कासित करने का फैसला लिया है. इस फैसले को लेकर तमाम चर्चाएं हो रहीं हैं. बच्‍ची का कहना है कि वह अपने गुरू के साथ ही रहेगी. वहीं, महंत का कहना है कि मैंने इस बच्‍ची और उसके परिवार को बहुत समझाया था, लेकिन वे नहीं माने. साध्‍वी राखी सिंह उर्फ गौ‍री गिरी ने कहा है कि अब वे अपने गुरू के साथ ही रहेंगी.

दरअसल जूना अखाड़े में बगैर बालिग हुए किसी बच्ची को संन्यास की दीक्षा नहीं दी जा सकती है. जूना अखाड़े में बालिग होने के बाद ही किसी महिला को संन्यास की दीक्षा जा सकती है. अखाड़े की परंपरा और नियम को तोड़ने पर महंत कौशल गिरि के खिलाफ कार्रवाई की गई है. जूना अखाड़े के प्रवक्ता महंत नारायण गिरी ने वीडियो जारी कर कार्रवाई की जानकारी दी है. उन्‍होंने कहा है कि यह अखाड़े के नियमों और परंपराओं के अनुकूल नहीं है. इसके कारण महासभा ने अपना फैसला सुना दिया है और इसका पालन करना होगा.

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राखी का परिवार 26 दिसंबर को प्रयागराज महाकुंभ आया था
गौरतलब है कि महंत कौशल गिरि ने 2 दिन पहले ही आगरा के रहने वाली 13 साल की राखी सिंह को संन्यास की दीक्षा दी थी. इसके बाद राखी ने भगवा चोला धारण कर लिया था. राखी सिंह आगरा के स्प्रिंगफील्ड स्कूल में 9वीं कक्षा की छात्रा थी.उसके पिता आगरा में पेठे का कारोबार करते हैं. राखी सिंह का परिवार 26 दिसंबर को प्रयागराज महाकुंभ आया था.पिता संदीप सिंह ने महाकुंभ में अपनी बेटी राखी को महंत कौशल गिरि को दान कर दिया था. संन्यास की दीक्षा देने के बाद राखी सिंह को गौरी गिरि नाम दिया गया था. राखी उर्फ गौरी गिरि ने खुद ही साध्वी बनने की इच्छा जताई थी. वह महंत कौशल गिरि के साथ जुड़कर सनातन की सेवा करना चाहती थी. मामला सुर्खियों में आने के बाद जूना अखाड़े ने कार्रवाई की है.



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